जयपुर। चांदपोल से छोटी चौपड़ के बीच प्राचीन रोजगारेश्वर मंदिर समेत दो दर्जन से अधिक मंदिरों में तोडफ़ोड़ कर हटाने की कार्रवाई से जनता के निशाने पर आई भाजपा सरकार और प्रशासन फिर से अपने पुराने तेवरों में नजर दिखाई देने लगी है। मेट्रो कार्य के लिए प्रशासन ने बड़ी चौपड़ के पांच मंदिरों को हटाने की सूची प्रशासन ने तैयार की है। हटने वाले मंदिरों में ध्वजमुखी हनुमान मंदिर, अमनेश्वर महादेव मंदिर, जमनेश्वर महादेव मंदिर और फ ूल वाले खंदा में हनुमान और गणेश मंदिर शामिल बताए जाते हैं। प्रशासन दिवाली के बाद इन मंदिरों को हटा सकता है। इसके लिए प्रशासन ने मंदिर बचाओं समिति और मंदिरों से जुड़े पुजारियों से सम्पर्क साधना शुरु कर दिया है। हालांकि परकोटे के मंदिर बचाने की मुहिम में लगी धरोहर बचाओ समिति व अन्य संगठनों से अभी तक प्रशासन ने कोई वार्ता नहीं की है। उधर धरोहर बचाओ समिति के संरक्षक भारत शर्मा ने मंदिरों को हटाने का विरोध करते हुए कहा, सरकार और आंदोलनकारी संगठनों के बीच हुए समझौते में मंदिरों के साथ छेड़छाड़ या हटाने की कार्रवाई नहीं करने का वादा किया गया था। अगर सरकार या प्रशासन ने मंदिरों को हटाने की कोई कार्रवाई की तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। प्रशासन मंदिरों को हटाने की कवायद में लग गया है। अफसरों ने मंदिर पुजारियों से सम्पर्क करके इस संबंध में बात भी की है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए धरोहर बचाओ समिति ने मंदिरों को बचाने के लिए जनजागरण अभियान चलाने का फैसला किया है, साथ ही 15 नवम्बर को जयटपुर बंद करके इसका विरोध दर्ज कराया जाएगा। समिति के संरक्षक भारत शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार हिन्दूओं के मंदिरों को ही निशाना बना रही है। जिससे पूरे हिन्दू समाज में आक्रोश है। किसी भी सूरत में मंदिर नहीं हटाने दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि पहले चांदपोल स्टेशन की जगह से हटाए गए मंदिर की मूर्तियों को प्रशासन ने गायब कर दिया गया। इसके बाद प्राचीन गौरीशंकर महादेव को हटाकर अभी तक जलाधिवास में ही रखा गया है। इस तरह की कार्रवाई से हिन्दू समाज में भारी रोष व्याप्त है। धरोहर बचाओ समिति अब अन्य प्राचीन मंदिरों को नहीं हटाने देगी और इसके विरोध में उसी दिन जयपुर बंद कराया जाएगा। इसके लिए शहर के सभी सामाजिक और व्यापारिक संगठनों का समर्थन लिया जाएगा।

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