नई दिल्ली। दो कथावाचकों ने शादी में पैसों की कमी को देखते हुए अपना धर्मार्थ कार्य छोड़ चोरी करने की ठानी। क्योंकि वे जिसे चाहते थे, उससे शादी करना चाह रहे थे। लेकिन कथा करने से इतना पैसा नहीं आ पा रहा था कि वे शादी कर सके और परिवार चला सके। मजबूरन दोनों ने फैसला कर लिया कि अब कथा नहीं करनी। बाइकें चुरानी है। इसके बाद इन लोगों ने बाइकें चोरी करने के बाद बेचनी शुरू कर दी। ताबडतोड बाइकें चोरी होने लगी तो पुलिस ने विशेष टीम बनाकर कथावाचक से चोर बने व्यक्ति व उसके सदस्यों को पकड़ा। दिल्ली द्वारका नार्थ थाना पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने एक साल में 100 से ज्यादा बाइकें चुराने की बात कबूली है। दक्षिण-पश्चिम जिले के डीसीपी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि दोनों आरोपियों की पहचान रामकुमार उर्फ राम और हरीश के तौर पर हुई। रामकुमार मूलत: मथुरा के गोवर्धन गांव के पलसो गांव का रहने वाला है। वहीं हरीश यूपी के अलीगढ़ के गांव बुलासीपुर का रहने वाला है। दोनों ही रणहौला इलाके के पीपल चौक के पास रह रहे थे। ये दोनों कथावाचक थे। कथा पाठ करने से उतनी कमाई नहीं हो पा रही थी कि वह घर-परिवार चला सके। इस वजह से जिनसे शादी करना चाहते थे, उनसे भी आर्थिक तंगी और कमाई नहीं होने के चलते विवाह नहीं कर पा रहे थे। मजबूरन बाइक चोरी की राह पकड़ी, लेकिन धरे गए। कथावाचक से चोर बन गए, लेकिन कथाओं में गीता के उस कथन को भूला बैठे कि अपने कर्मों का फल इस संसार में ही भोगना पड़ता है।

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