जयपुर। एशिया की सबसे बड़ी क्लोनी के सबसे पुराने दिगम्बर जैन मंदिर वरुण पथ मानसरोवर पर पूज्य माताजी आर्यिका विशुद्धमति माताजी ससंघ का मंगल प्रवास चल रहा है इस दौरान प्रातः 8 बजे से वरुण पथ आचार्य विघा सागर सभागार में मंगल प्रवचन संपन्न हुए।
जिसमे पूज्य माताजी ने अपने मंगल उद्बोधन में देश और समाज को धर्म के मार्ग पर चलने का आह्वान किया और धर्म को ही कर्मो का सच्चा मार्ग बताया। जैसे जीवन में जीने के लिए शरीर और खाना दोनों जरुरी है ठीक उसी प्रकार इंसान बनने और समझने के धर्म और कर्म दोनों जरुरी है शब्दों में दोनों अलग है लेकिन इंसान बनने के लिए यह एक शरीर है जिसमे धर्म को कर्मो की आवश्यकता होती है और कर्मो को धर्म की आवश्यकता होती है इसलिए प्रत्येक प्राणी को धर्म और कर्म दोनों का मार्ग अपनाना चाहिए। यही मार्ग है जो इंसान को इंसान बनती है जिसके बाद इंसान से भगवान बनने की राह अपने आप बनती चली जाती है। बस देखना, सोचना और समझने की आवश्यकता रहती है।
समिति अध्यक्ष एमपी जैन ने बताया की पूज्य माताजी ससंघ सानिध्य में प्रातः 6.15 बजे से श्रीजी के कलशाभिषेक, शांतिधारा, प्रातः 8 बजे से मंगल प्रवचन प्रतिदिन मंदिर प्रांगण के प्रवचन सभागार में आयोजित होते है सायंकालीन में मंगल आरती, आनंद यात्रा, गुरु भक्ति के कार्यक्रम आयोजित होते है। रविवार 18 जून 2017 आयोजित धर्म सभा में पूज्य गणिनी आर्यिका रत्न विशुद्धमति माताजी अपने मंगल उद्बोधन में जयपुर शहर में प्रथम चातुर्मास की दिव्य घोषणा भी करेगी।