नई दिल्ली। राष्ट्रीय और राज्य के राजमार्गों पर खुली शराब की दुकानों को वहां से नहीं हटाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। सुनवाई के दौरान कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए यह माना जा रहा है कि जल्द ही राष्ट्रीय और प्रदेश राजमार्गों पर खुली सभी शराब की दुकानों पर ताला लग जाएगा। एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राजमार्गों से शराब की दुकान हटाने की केंद्र की नीति पर अमल न होने को लेकर राज्य सरकारों, खासकर पंजाब और पुदुचेरी स्थित माहे प्रशासन पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने केंद्र की नीति को सही ठहराते हुए कहा कि वह देश भर के हाइवे से शराब की दुकानों को हटाने के लिए आदेश भी दे सकती है। कोर्ट ने राज्य सरकारों की खिंचाई करते हुए कहा कि वे शराब का लाइसेंस देकर पैसे बना रही है। लेकिन लोगों की जिंदगी और सुरक्षा जैसी जरूरी बातों को दरकिनार कर रही हैं। सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर के शराब विक्रेताओं की ओर से यह दलील दी गई कि जो लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते हैंए वे शराब विक्रेता नहीं हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर ने कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर आपको इतनी चिंता है कि लोग शराब पीकर हंगामा करते हैं तो फि र आप शराब की होम डिलीवरी क्यों नहीं शुरू कर देते। तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में कई बार कहा कि अदालत यह सुनिश्चित करेगी कि हाइवे पर शराब पीकर वाहन चलाने की बुरी आदत खत्म हो जाए। हर साल करीब 1.42 लाख लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं। इनमें से कई की मौत शराब पीकर वाहन चलाने के कारण होती है। शराब दुकानों की हाईवे के साथ नजदीकी इस समस्या का एक प्रमुख कारण है।? पंजाब और हरियाणा के शराब व्यापारी संगठन की ओर से पेश हुए वकीलों ने अदालत से आग्रह किया कि हाइवे पर शराब व्रिकेताओं को तय नियमों और प्रावधानों के तहत ही लाइसेंस दिया जाए लेकिन अगर अचानक ही इन शराब दुकानों को बंद करने का फैसला लिया जाता है तो व्रिकेताओं को काफ ी नुकसान होगा। जजों की खंडपीठ इन दुकानों की बड़ी तादाद जानकर बहुत हैरान थी। पुदुचेरी के माहे से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक किलोमीटर की दूरी में ही करीब 64 शराब के ठेके है।