जयपुर। राजस्थान की सत्ता और संगठन में जल्द फेरबदल दिखेगा। संभवतया: दिवाली के बाद राज्य मंत्रिमण्डल खासा बदला देखा जा सकता है। इसमें जहां कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है या उनके विभागों को बदला जा सकता है, वहीं कुछ नए मंत्री भी सामने आएंगे। इसी तरह संगठन में सक्रियता और तेजी लाने के लिए यहां भी बड़ा बदलाव हो सकता है। दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन से जुड़े नेताओं को तवज्जों मिल सकती है। संघनिष्ट नेताओं को भी मंत्रीमण्डल और संगठन में स्थान मिल सकता है। हालांकि किसे क्या मिलेगा, यह भविष्य के गर्त में हैं, लेकिन इतना जरुर है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से हरी झण्डी मिलने के बाद फेरबदल व बदलाव की अनुमति सरकार और संगठन को मिल चुकी है। इसके संकेत मिलते ही उन मंत्रियों के टेंशन शुरु हो गई है, जिनका कामकाज सुस्त है और कार्यकर्ताओं की सबसे ज्यादा शिकायतें भी रहती हैं। साथ ही वे मंत्री खासे परेशान है, जो केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं को ठीक से प्रदेश में लागू नहीं कर पाएं और उस वजह से सरकार को परेशानी के साथ जनता की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है। हालांकि फेरबदल की अटकलों के बीच उन विधायकों के चेहरे खिले हुए हैं, जो ढाई साल से मंत्री पद के इंतजार में है और उन्हें फेरबदल की स्थिति में लालबत्ती का सुख मिल सकता है। वैसे तो केबिनेट में ऐसे चार मंत्री है, जिनको या तो बदला जा सकता है या उनका पोर्टपोलियो कमतर हो सकता है। इसी तरह कुछ मंत्री ऐसे भी है, जिन्होंने कमतर विभाग होने के बावजूद अच्छा कार्य किया है, वे प्रमोट किए जा सकते हैं। अभी मंत्रिमण्डल में संगठन से जुड़े विधायकों की हिस्सेदारी कम है। ऐसे में संघ और संगठन निष्ठ दो-तीन विधायकों को मंत्रिमण्डल में शामिल किया जा सकता है। जो हार गए, उनमें एकाध को भी किसी बोर्ड में चेयरमैन बनाया जा सकता है। इसके अलावा संगठन को दुरुरस्त करने के लिए भी युवा और अनुभवी नेताओं व विधायकों को संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है। बताया जाता है कि सत्ता और संगठन में बदलाव की पूरी तैयारी हो चुकी है। संभावित नामों पर पार्टी नेताओं से भी विचार-विमर्श हो चुका है। जो संभावित बदलाव है, उस पर हरी झण्डी भी मिल चुकी है। दिवाली से पहले टेंशन नहीं हो, इसलिए यह बदलाव संभवतया त्यौहार के बाद कभी भी हो सकता है। गौरतलब है कि मंत्रिमण्डल का विस्तार दो साल पहले अक्टूब, 2014 में हुआ। तब पन्द्रह मंत्री बनाए गए। इतने ही मंत्री और बनाए जा सकते हैं। इस कतार में कई वरिष्ठ विधायक के साथ युवा और अनुभवी भी लाइन में है। अब देखना है कि किसके भाग्य में मंत्री पद है और किसके नहीं।