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-भोपाल जेल में बंद दो आतंकियों का कोर्ट से लिया प्रोडक्शन वारंट, दूषित जांच करने से 16 सिमी सदस्य हो चुके है बरी

जयपुर। जयपुर नोर्थ में तत्कालीन एएसपी महेन्द्रसिंह चौधरीकी ओर से एसओजी थाने में 23 अगस्त, 2००8 को दर्ज कराये गये मुकदमें में करीब 1० साल बाद राजस्थान एटीएस ने पुन: जांच शुरु करते हुए बुधवार को सीएमएम, जयपुर मेट्रो में प्रार्थना पत्र पेश कर भोपाल-एमपी जेल में बंद दो आतंकियों 3० वर्षीय सिबली पेडीकल अब्दुल निवासी इराट्टवेट्टा-केरल एवं 34 वर्षीय आमिल परवेज फारुखी निवासी ग्राम-उन्हेल, तहसील-नागदा, उज्ज्ोन-एमपी का प्रोडक्शन वारंट मांगा है, जिसे स्वीकार करते हुए जज सुनील गोयल ने 3० मार्च तक का प्रोडक्शन वारंट जारी कर दिया है।

दोनों पर आईपीसी की धारा 153 क, 295 क एवं 12० बी तथा विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण एक्ट की धारा 1०,13,17 एवं 18 का अपराध करने का आरोप है। मामले की जांच कर रहे डिप्टी फूलचन्द ने कोर्ट को बताया कि दोनों अभियुक्तों को इन्दौर की एडीजे कोर्ट ने मुकदमा सं.-132/1० एवं 12०/1० में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दोनों 28 मई, 2०17 से सेन्ट्रल जेल-भोपाल में सजा भुगत रहे है। जयपुर एसओजी में दर्ज मुकदमा सं.-15/2००8 में दोनों को गिरफ्तार कर अनुसंधान किया जाना श्ोष है। इस मुकदमें में एटीएस ने आरोपी मेंहदी हसन सहित 16 आरोपियों को गिरफ्तार कर बिना कोई अनुसंधान किये कोर्ट में चालान पेश किया था।

बाद में कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया था। चालान पेश करते समय एटीएस ने आरोपी मो. सलीम, मुफ्ती मोहम्मद बशर, सिबली, आमिल परवेज एवं अब्दुल सुभान कुरैशी के खिलाफ जांच लम्बित रखी थी।

-यह था मामला

13 मई, 2००8 को जयपुर में हुए सीरियल बम धमाकों के बाद एडीजी क्राईम ने जांच के लिए एक विश्ोष अनुसंधान दल का गठन किया था। दल के प्रभारी महेन्द्र चौधरी ने जांच कर सौंपी तहरीर रिपोर्ट में कहा था कि भारत सरकार ने 27 दिसम्बर, 2००1 को सिमी को एक्ट की धारा-3 के तहत प्रतिबंधित कर दिया था, फिर अभियुक्तगण छिप कर संगठन को चला रहे थ्ो। गुजरात पुलिस ने आरोपी सज्जाद को सूरत में मीटिंग करते हुए को पकडा था, लेकिन वह फरार हो गया था। बाद में कोटा आकर अपना नाम सलीम रखकर कोर ग्रुप का गठन किया। मुन्नवर हुसैन को मुखिया, इमरान को कोषाध्यक्ष एवं अतीकुर्रहमान को सचिव बनाया था। 2००6 में वह बडौदा चला गया। जनवरी, 2००8 में पावागढ-गुजरात में अनेक सदस्यों को बम बनाने एवं रायफल शूटिंग सहित अन्य विध्वंशक प्रशिक्षण दिया गया था।

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