कोलकाता, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो( एनसीआरबी) द्वारा जारी एक हालिया आंकड़े के मुताबिक, 2015 और2016 के बीच भारत में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में11 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। आंकड़े के मुताबिक देश भर में बच्चों के खिलाफ अपराध में12,786 मामलों की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। बच्चों के खिलाफ अपराध का आंकड़ा 2015 मेंजहां 94172 था वहीं 2016 में यह आंकड़ा106958 तक पहुंच गया। हालांकि, एक गैर सरकारी संगठन चाइल्ड राइट एंड यू( सीआरवाई) के मुताबिक यह एक चौंकाने वाला आंकड़ा नहीं है। आंकड़े के मुताबिक पिछले एक दशक( 2006 में18, 967 और2016 में1,06, 958,) की अवधि में500 प्रतिशत से अधिक की उल्लेखनीय वृद्धि के साथयह एक स्थिर वृद्धि दर को दर्शाता है। अध्ययन के मुताबिक2006 से2011 के मुकाबले2012 से2016 के बीच बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
एनसीआरबी के आंकड़े का हवाला देते देते हुये सीआरवाई की पॉलिसी एंड एडवोकेसी निदेशक कोमल गनोता ने कहा कि लोगों में व्यापक पैमाने पर जागरूकता बढ़ने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा मामला दर्ज किये जाने के कारण आंकड़ों की संख्या बढ़ी होगी। यह भी दर्शाता है कि हाल के वर्षों में बच्चों के पीड़ित होने का जोखिम तेजी से उजागर हुआ है।आंकड़ों के मुताबिक, सभी राज्यों में बच्चों के खिलाफ होने वाले कुल अपराधों में से50 प्रतिशत से भी ज्यादा अपराध केवल पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में होता है। 2016 में बच्चों के खिलाफ अपराध के दर्ज होने वाले कुल मामलों में से करीब आधा मामला48.9 प्रतिशत यानि52,253 मामले अपहरण का रहा है। इसके बाद बलात्कार का नंबर आता है।