जयपुर। रीको की 34 लाख वर्गमीटर बेशकीमती जमीन को नियम-कायदों के विपरीत औने-पौने दामों पर आवंटित करने के बहुचर्चित मामले में कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। एमएम-11 जयपुर मेट्रो की जज अनीता मीना ने परिवादी संजय गर्ग के परिवाद पर प्राथमिक सुनवाई के बाद अशोक नगर थाना पुलिस को मामले में सीआरपीसी की धारा 202 में अनुसंधान करने और उसकी नतीजा रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने रीको के तत्कालीन चेयरमैन सुनील अरोड़ा समेत छह आला अफसरों के खिलाफ दिए जांच के आदेश
परिवाद में आरोप लगाया है कि पूरे प्रदेश में रीको की करीब 34 लाख वर्गमीटर जमीन नियम-कायदों के विपरीत 118 उद्यमियों को दे दी। रीको प्रबंधन के इस कृत्य से सरकारी कोष को करीब 15 सौ करोड़ रुपए की चपत लगाने के आरोप लगाए गए हैं। मामले में एक सितंबर को नतीजा रिपोर्ट पेश करने को कहा है। परिवाद में रीको के तत्कालीन चेयरमैन सुनील अरोड़ा, तत्कालीन कमिश्नर पुरुषोत्तम अग्रवाल, तत्कालीन एमडी राजेन्द्र भानावत, तत्कालीन कमिश्नर इंडस्ट्रीज राजहंस उपाध्याय, तत्कालीन सलाहकार इंफ्रा चेतन देवड़ा व उर्मिला राजोरिया सहित अन्य को आरोपी बनाया है।
परिवाद में बताया है कि रीको डिस्पोजल रूल्स-1979 के नियम 3 डब्ल्यू के अंतर्गत प्रिफरेन्शियल कैटेगरीज में प्राथमिकता के आधार पर प्रिवेलिंग रेट्स पर औद्योगिक भूखंडों का आवंटन किया जाता है, लेकिन परिवाद में बताए आला अफसरों ने इस नियम की पालना नहीं की और नियमों में फेरबदल करके चहेते व्यापारियों व फर्मों को बेशकीमती जमीन औने-पौने दामों में आवंटित कर दी।