जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने आठ साल पहले 18 माह की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त संजय उर्फ शालू को मिली दस साल की सजा को बरकरार रखते हुए उसकी अपील को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश मनीष भंडारी की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश दिए।
अपील में अभियुक्त ने बारां की एससीएएसटी मामालें की विशेष अदालत के 8 अक्टूबर 2013 के आदेश को चुनौती दी थी। इसके आदेश से निचली अदालत ने अभियुक्त को दस साल की सजा सुनाते हुए 17 हजार रुपए का जुमार्ना लगाया था। मामले के अनुसार बच्ची के परिजनों ने 6 अप्रैल 2010 को बारां के अटरू पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया था। इसमें कहा कि बच्ची अपनी मां के साथ बाहर सोई हुई थी। रात को मां ने देखा तो बच्ची पास में नहीं मिली। तलाश करने पर बच्ची घर से करीब चार किमी दूर सुलभ कॉम्पलैक्स के बाहर मिली। वहीं मौके पर अभियुक्त भी खडा थाए जो परिजनों को देखकर भाग गया। वहीं अभियुक्त की ओर से अदालत को कहा गया कि उसे आपसी रंजिश के चलते फंसाया जा रहा हैए लेकिन अभियुक्त यह साबित नहीं कर सका कि वह अलसुबह मौके पर क्या कर रहा था और परिजनों को देखकर वहां से क्यों भाग गया।