खेतड़ी. जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान राजस्थान के दो जवान शहीद हो गए। दोनों झुंझुनूं जिले के रहने वाले थे। दोनों जवानों की पार्थिव देह बुधवार को झुंझुनूं लाई जाएगी। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मरी के डोडा जिले में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में सेना के कैप्टन समेत 4 जवान शहीद हुए हैं। डोडा शहर से करीब 55 किमी दूर हुए आतंकी मुठभेड़ में बुहाना तहसील के भैसावता कलां के सिपाही अजय सिंह नरूका (26) पुत्र कमल सिंह नरूका और डूमोली कलां की ढाणी खुबा के रहने वाले बिजेंद्र सिंह दौराता (26) ​​​​​पुत्र रामजीलाल शहीद हुए हैं। मंगलवार सुबह दोनों जवानों के परिवार को शहादत की खबर मिली। परिजनों ने बताया अजय सिंह दो महीने पहले छुट्‌टी पर घर आए थे। इसके बाद ड्यूटी पर वापस लौट गए थे। दो दिन बाद 18 जुलाई को छुट्‌टी लेकर गांव आने वाले थे। इससे पहले मुठभेड़ में शहीद हो गए। अजय सिंह की पार्थिव देह बुधवार सुबह 9:15 बजे सिंघाना से भैसावता कलां (झुंझुनूं) पहुंचेगा। वहां से शहीद के सम्मान में यात्रा निकाली जाएगी। अजय के पिता कमल सिंह नरूका भी सेना में हवलदार रह चुके हैं। कमल सिंह 2015 में रिटायर हुए थे। शहीद अजय सिंह नरूका की शादी 21 नवंबर 2021 को शालू कंवर (24) से हुई थी। मां सुलोचना देवी गृहिणी हैं। अजय सिंह का छोटा भाई करणवीर सिंह (24) बठिंडा (पंजाब) के एआईएमएस में डॉक्टर है। पत्नी शालू कंवर ने इसी साल चिड़ावा के कॉलेज से M.Sc. क्लियर किया है। शहीद के चाचा कायम सिंह भी भारतीय सेना की 23 राजपूत रेजिमेंट में सिक्किम में तैनात हैं। उन्हें 2022 में सेना मेडल से नवाजा गया था। शहीद अजय सिंह का मूल गांव खेतड़ी के समीप भैसावता कलां है, लेकिन उनका परिवार 2007 से पिलानी के हरिनगर में रहता है। मंगलवार सवेरे करीब साढ़े सात बजे उनकी पत्नी शालू कंवर के पास सेना के अधिकारियों का फोन आया। इस दौरान वह अपने पीहर में थीं। शहादत की खबर सुनते ही वह बेसुध हो गईं। इसके बाद उन्होंने परिवार को इसकी खबर दी। शहीद के पिता कमल सिंह काे जैसे ही बेटे के शहीद होने की खबर मिली, वे बिलख पड़े। लोगों ने उन्हें बड़ी मुश्किल से संभाला। पूरा परिवार पिलानी से भैसावता कलां पहुंच गया है। शहीद अजय सिंह नरूका के पैतृक गांव बुहाना तहसील के भैसावता कलां में अंतिम संस्कार की तैयारियों में गांव वाले जुट गए हैं। रास्तों की साफ-सफाई की जा रही है। घर तक जाने वाली गली ऊबड़-खाबड़ है। इसलिए उसकी मरम्मत की जा रही है। बिजेंद्र सिंह 2018 में आर्मी में भर्ती हुए थे। 8 नवंबर 2019 में उनकी शादी नयाबास मानोता कलां (खेतड़ी) की रहने वाली अंकिता (25) से हुई थी। उनके दो बेटे हैं, जिनमें विहान चार साल का, जबकि किहान एक साल का है। परिवार में तीन बहनें भरपो देवी, शर्मिला, कविता है, जिनकी शादी हो चुकी हैं। पिता रामजीलाल (48) गांव में खेती करते हैं। मां धोली देवी गृहिणी है। छोटा भाई दशरथ सिंह (24) भी सेना में हैं, जो लखनऊ में तैनात है। बिजेंद्र सिंह फरवरी में एक महीने की छुट्‌टी पर अपने घर आए थे। पांच दिन पहले घर आने वाले थे, लेकिन आतंकी घटनाओं के चलते छुट्‌टी कैंसिल हो गई थी। बिजेंद्र सिंह की शहादत के बारे में अभी तक परिवार को नहीं बताया गया है। उनके छोटे भाई दशरथ सिंह (24) को इसकी जानकारी है। सेना के अधिकारियों का कॉल दशरथ सिंह के पास आया था। इसी के बाद उनको बिजेंद्र के शहीद होने की जानकारी हुई। दशरथ सिंह को फौरन छुट्‌टी देकर लखनऊ से गांव के लिए भेज दिया गया है। दोपहर में दशरथ सिंह पैतृक गांव डूमोली कलां की ढाणी खुबा पहुंच चुके हैं। वे अपने साथियों के साथ अभी गांव के पंचायत भवन में ही रुके। इसके साथ ही घर की तरफ जाने वाले लोगों को पंचायत भवन में ही रोक दिया गया। बिजेंद्र की शहादत की जानकारी उनके परिवार वालों को नहीं है। गांव के कुछ लोगों तक यह खबर पहुंच गई थी, तो गांव के पंचायत घर पर लोग इकट्ठे हुए। शहीद बिजेंद्र सिंह के घर की ओर किसी बाहरी व्यक्ति को जाने नहीं दिया जा रहा है। उन्हें आशंका है कि भीड़-भाड़ के कारण बिजेंद्र की पत्नी, उनके पिता सहित परिवार को शहादत की जानकारी मिल जाएगी।

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