-विवेकानन्द शर्मा
जयपुर। आखिर लम्बी प्रतीक्षा के बाद प्रदेश भाजपा को संगठन महामंत्री मिल ही गए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक चन्द्रशेखर प्रदेश भाजपा में व्याप्त हलाहल को पीकर कितने दिन तक नीलकण्ठ बने रहेंगे, यह तो समय ही बताएगा। संगठन की दृष्टि से प्रदेश भाजपा की स्थिति सुदृढ़ नही कही जा सकती है। सत्ता और संगठन दोनों का अपना विशिष्ट महत्व है किन्तु जब सत्ता के श्री चरणों में संगठन दण्डवत लेटा हो तो कार्यकतार्ओं के मन की स्थिति आसानी से समझी जा सकती है। चन्द्रशेखर से पहले प्रदेश भाजपा में संगठन महामंत्री प्रकाशचन्द्र थे और प्रकाशचन्द्र से पहले ओमप्रकाश थे। प्रकाशचन्द्र के समय सत्ता और संगठन की खींचतान सार्वजनिक हो चुकी थी।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कार्यशैली और संघ की कार्यशैली विपरीत ध्रुवों की तरह है। वर्ष 2008 के चुनावों में भाजपा को मिली पराजय पर तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष ओम माथुर ने इस्तीफा दे दिया था। कुछ समय बाद प्रकाशचन्द्र भी भाजपा से अलग होकर लघु उद्योग भारती नामक संगठन में काम करने लगे। किन्तु वसुंधरा राजे ने नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने से पहले केन्द्रीय नेतृत्व के पसीने ला दिए थे। वर्ष 2013 में मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा ने बम्पर बहुमत तो प्राप्त कर लिया किन्तु कार्यकतार्ओं में पनप रहे असंतोष के निराकरण के समुचित प्रयास नहीं हो पाए। बहरहाल बाबा विश्वनाथ की नगरी तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के क्षेत्र वाराणसी से गोविंद देव जी की नगरी जयपुर में पधारे चन्द्रशेखर को कृष्ण की कूटनीति और महादेव के तांडव का सामन्जस्य बना कर चलना होगा। चन्द्रशेखर मिलनसार व्यक्तित्व के धनी बताए जाते हैं। संघ तथा भाजपा मे उनके कार्य का आधार प्रमुख रुप से युवा शक्ति ही रही है। अनुशासन के मामले में वे भी अधिकांश प्रचारकों की तरह कठोर ही हैं। किन्तु यह कठोरता आम कार्यकर्ता के लिए कम तथा बड़े जिम्मेदार लोगो के लिए अधिक होती है। बेहद व्यवस्थित जीवन जीने वाले चन्द्रशेखर अपने दिनभर की कार्ययोजना एक दिन पहले ही रात्रि में तैयार कर लेते हैं। अब यह तो आनेवाला समय ही बताएगा कि चन्द्रशेखर प्रदेश भाजपा को किस शिखर तक लेकर जाएंगे।

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