नई दिल्ली। आधी सदी आते-आते भारत में मुस्लिम आबादी दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले सबसे अधिक होगी। अमेरिकी थिंक टैंक कहे जाने वाले प्यू रिसर्च सेंटर की जो रिपोर्ट सामने आई है। उसके अनुसार तो कमोबेश स्थिति यही निकल सामने आई है। इस स्थिति का एक प्रमुख कारण जो निकल कर सामने आया है। वो यह है कि विश्व में अन्य धर्मों के मुकाबले मुस्लिम जनसंख्या में युवाओं की औसत आयु (30 वर्ष) ज्यादा बेहतर है। इस युवा आबादी के होने का अर्थ यह भी है कि मुसलमानों की बड़ी आबादी या तो बच्चे पैदा कर रहे है या भविष्य में करेगी। सबसे अधिक प्रजनन दर और सबसे ज्यादा युवा आबादी के चलते मुसलमानों की आबादी में तेजी से इजाफा देखने को मिलेगा। विश्व स्तर पर मुस्लिम महिला के औसतन 3.1 बच्चे होते हैं, जबकि अन्य धर्मों यह औसत 2.3 का ही है। वर्ष 2050 तक भारत विश्व की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी (लगभग 30 करोड़) वाला देश बन जाएगा। वर्तमान में इंडोनेशिया में दुनिया की सर्वाधिक मुस्लिम आबादी है। इसके बाद भारत का नंबर आता है। यूं तो जनसंख्या के लिहाज से विश्व में सबसे बड़ा धर्म ईसाई धर्म है। इसके बाद दूसरे नंबर पर इस्लाम धर्म का नंबर आता है। इस्लाम धर्म वर्तमान में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ धर्म उभरकर सामने आया है। प्यू रिसर्च सेंटर सूत्रों की माने तो जनसंख्या का यह दौर इसी तरह बढ़ता रहा तो सदी के अंत तक मुस्लिमों की जनसंख्या ईसाइयों से ज्यादा हो जाएगी। जो आंकलन निकल कर सामने आया उसके अनुसार वर्ष 2010 तक विश्व में मुसलमानों की कुल आबादी 1.6 अरब थी। जो विश्व जनसंख्या (मुस्लिम) में 23 फीसदी हिस्सेदारी रखता है। आने वाले दशकों में यह बढ़कर 35 फीसदी तक बढ़ जाएगी। जबकि 2050 तक मुस्लिम आबादी में 73 फीसदी का इजाफा होगा। इस लिहाज से 2050 तक विश्व में मुस्लिमों की संख्या 2.8 अरब होगी।