3 decades after the cannons come
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नई दिल्ली। लंबे अंतराल के बाद आखिरकार भारतीय सेना शक्ति को मजबूती प्रदान करने के लिए दो नई तोपें भारत पहुंच ही गई। अमेरिका ने भारत से किए गए एक करार के बाद 2 अल्ट्रा लाइट 145 एम-777 हॉवित्जर तोपें ट्रायल के लिए भारत आई हैं। इन्हें चार्टर्ड प्लेन के जरिए ब्रिटेन से भारत लाया गया। जिन्हें जल्द ही राजस्थान के पोकरण स्थित फिल्ड फायरिंग रेंज भेजा जाएगा। यहां विभिन्न किस्म के गोला बारुद के साथ इनका परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद 3 और तोपें सिंतबर माह में आएगी। मार्च 2019 से 2021 के बीच हर माह 5-5 तोपें भारत आएंगी। इस तरह जून 2021 तक सभी तोपें सेना को मिल जाएंगी। समझौते के अनुसार पहली 25 तोपें तो आयात होगी, जबकि शेष 145 तोपें भारत में ही असेंबल की जाएगी। इन तोपों के सफल ट्रॉयल के बाद अमेरिका करार के तहत 145 तोपें भारत को देगा। भारत की सीमाओं पर सुरक्षा व रक्षा तैयारियों के मद्देनजर सेना के लिए यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है। पहले इन तोपों को चीन सीमा पर तैनात करने की योजना थी। भारत में नई तोपों की खरीद को लेकर पहले 1986 में बोफोर्स तोपों की खरीद हुई, जिसमें दलाली के आरोपों के बीच एक बड़ा विरोध सामने आया था। जिसके बाद से नई तोपें खरीदनें में ही भारत ने 3 दशक का लंबा समय लगा दिया। बता दें गत वर्ष ही भारत ने 24 से 40 किलोमीटर तक मार करने वाली 145 तोपों की खरीद को लेकर अमेरिका से 737 मिलियन डॉलर का करार किया था। इन तोपों के निर्माण का जिम्मा अमेरिकी कंपनी बीएई सिस्टम्स को सौंपा गया। अमेरिकी निर्माता कंपनी ने भारत की महिंद्रा कंपनी को अपना बिजनस पार्टनर बनाया है। टाइटैनियम से निर्मित इस तोप का वजन 4 टन से कुछ अधिक है। वजन में हल्की होने के कारण इन तोपों को भारत के बेहद ऊंचाई वाले मोर्चो (16 हजार फीट) पर तैनात किया जा सकेगा। इन तोपों से भारतीय सेना के 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉप्र्स को लैस किया जाएगा। इसी तरह भारत सरकार ने देश की ही एलएंडटी के साथ 4366 करोड़ रुपए का एक करार किया है। यह कंपनी अपने दक्षिण कोरियाई बिजनस पार्टनर के साथ मिलकर 100 नई तोपें बनाएगी। 42 माह में डिलिवर होने वाली 155 मिमी/52-कैलिबर तोपों का नाम के-9 वज्र-टी होगा।

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