जयपुर। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि गुरू गोबिन्द सिंह के 350वें प्रकाश वर्ष के उपलक्ष्य में राज्य सरकार ऐसे भक्तों की स्मृति में पेनोरमा विकसित कर रही है, जिन्होंने गुरू ग्रन्थ साहिब में वाणियां लिखी। राजे 8, सिविल लाइन्स पर गुरू गोबिन्द सिंह के 350वें प्रकाश वर्ष के अवसर पर उनके सम्मान में आयोजित कीर्तन दरबार में सिख संगत को सम्बोधित कर रही थीं। कीर्तन दरबार में प्रदेश के विभिन्न जिलों की सिख संगत शामिल हुई। उन्होंने कहा कि गुरू गोबिन्द सिंह की लड़ाई अधर्म, जुल्म तथा भेद-भाव के खिलाफ रही। वे एक महान संत, योद्धा तथा समाज सुधारक थे। गुरू नानक देवजी ने जिस आदर्श मनुष्य की कल्पना की थी, उस कल्पना का साकार रूप गुरू गोबिन्द सिंह जी है। गुरू गोबिन्द सिंह ने पूरी दुनिया को मानवता का पाठ पढ़ाया और मानव प्रेम को ही भक्ति और उपासना माना।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरू गोबिन्द सिंह ने हमें एक-दूसरे से स्नेह रखने के साथ-साथ एक-दूसरे के साथ होने वाले अन्याय का प्रतिकार करने की भी सीख दी। उन्होंने सभी धर्माें और जातियों के लोगों को एक बर्तन से अमृत पिला कर सदियों पुरानी जात-पात की दीवार को गिराया। धर्महित के लिए गुरूजी ने न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे वंश का भी बलिदान दे दिया। लोगों को अत्याचार से बचाने के लिए ही महान खालसा पंथ की स्थापना की।
राजे ने कहा कि गुरूद्वारा बूढ़ाजोहड़ में भगत सुक्खा सिंहजी एवं मेहताब सिंहजी के पेनोरमा और झील के सौन्दर्यकरण का काम किया जा रहा है। वहीं टोंक जिले के धुआंकलां में धन्ना भगत जी का पेनोरमा, झालावाड़ में भगत रैदास जी का पेनोरमा तथा नारायणा में गुरू गोबिन्द सिंह जी का पेनोरमा बनवाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय में भी गुरू गोबिन्द महाराज पीठ स्थापित की जा रही है जिसके लिए 4 करोड़ रुपये आंवटित भी हो चुके हैं। खान मंत्री सुरेन्द्रपाल सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के प्रयासों से गुरू गोबिन्द सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर गुरू ग्रन्थ साहिबजी का मुख्यमंत्री निवास पर आगमन हुआ है जो हमारे सौभाग्य की बात है। अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जसबीर सिंह ने कहा कि गुरू गोबिन्द सिंह जी ने सामाजिक समरसता कायम की और अनेक परेशानियों के बावजूद धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए लडे़।

LEAVE A REPLY