जयपुर। कैंसर, एडस, आॅर्गन फेल्यर जैसी बीमारियों में जब रोगी अपने जीवन के अंतिम क्षणों में दर्द से गुजरता है तो उसे पेलिएटिव केयर की आवष्यकता होती है। आज के समय में इंडिया में 54 लाख लोग ऐसी बीमारियों से ग्रसित है जिन्हें पेलिएटिव केयर की आवष्यकता है। दुर्भाग्यवष भारतीय चिकित्सा व्यवस्था में 2 से 4 फीसदी लोगों को ही पेलिएटिव केयर की सुविधा मिल पाती है। यह कहना है भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय एंव अनुसंधान केन्द्र के पेलिएटिव केयर विभागाध्यक्ष डाॅ अंजुम खान जोड का। विष्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इस वर्ष 14 अक्टूबर को विष्व पेलिएटिव केयर डे के रूप में मनाया जा रहा हैै। इस मौके पर डाॅ अंजुम ने बताया कि गंभीर बीमारी से लडते हुए मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए पेलिएटिव केयर एक टीम के रूप में कार्य करता है। इस टीम में डाॅक्टर, नर्स, साइकोलाॅजिस्ट, सोषियोलाॅजिस्ट फिजियोथैरेपिस्ट, डायटीषियन सभी षामिल होते हैं। पेलिएटिव केयर का लक्ष्य रोगी को दर्द से राहत दिलाने के साथ ही बीमारी में होने वाली तकलीफ को दूर करके रोगी और उनके परिजनों के मनोबल को बढाना है।
डाॅ अंजुम के अनुसार जागरूकता की कमी के कारण कैंसर के अधिकांष रोगियों में रोग की पहचान अंतिम अवस्था में होती है। जिसमें कैंसर रोग षरीर में फैल चुका होता है और रोगी को अधिक दर्द से गुजरना पडता है। इस दौरान पेलिएटिव केयर की भूमिका अहम हो जाती है। कैंसर रोग से लड रहे रोगी के जीवन साथी और उसके परिवार के सदस्यों को भी मानसिक रूप से कई परेषानियों का सामना करना पडता है। ऐसे में उनके मन में कई सवाल होते हैं जैसे रोगी से किस तरह बात करके उसका मनोबल बढाए, रोगी के दर्द को किस तरह कम करें और किस तरह का आहार दें। इस तरह की तमाम समस्याओं का समाधान पेलिएटिवय केयर के दौरान किया जाता है।
सीनियर एनिस्थिसियोलाॅजिस्ट डाॅ पुष्पलता गुप्ता ने बताया कि अधिकांष मरीजों को उपचार के दौरान और बाद में अत्यिधिक दर्द से गुजरना पडता है। इस दौरान रोगी के साथ ही उसके परिवार के सदस्यों को भी मानसिक परेषानियों का सामना करना पडता है। ऐसे में पेलिएटिव केयर टीम मरीज के साथ ही उनके परिवार के सदस्यों की काउंसिल करती है।