पाठ्य पुस्तकों के प्रकाशन की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाये -देवनानी

जयपुर: राजस्थान विधानसभा में शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने दावा किया कि देश में राजस्थान एक मात्र ऐसा प्रदेश है जहां 6.5 लाख से ज्यादा बच्चे आरटीई के तहत शिक्षा ग्रहण कर रहे है। सदन में आज एक प्रश्न का जवाब देते हुए देवनानी ने कहा कि राजस्थान पहला ऎसा प्रदेश है जहां साढे़ छह लाख से ज्यादा बच्चे आरटीई के तहत शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। नियमानुसार स्कूल की 25 प्रतिशत सीटों पर निर्धनतम बच्चों को प्रवेश देना होगा।

उन्होंने बताया कि आरटीई के तहत प्रदेश के सभी स्कूलों में शिक्षा देने के मामले में राजस्थान एक नंबर पर है। सरकार ने वर्ष 2016-17 में आरटीई के तहत 264 करोड़ 29 लाख रुपए इस योजना के लिए स्कूलों को दिए। इसी अवधि में 24 हजार 387 स्कूलों को इस योजना से जोड़ा गया जबकि 1300 स्कूलों को जोड़ना बाकी है । उन्होंने बताया कि सभी निजी स्कूलों में फीस निर्धारण समिति के तहत फीस निर्धारित की जाती है। समिति में स्कूली प्रबंधन सहित 10 लोग मिलकर फीस तय करते हैं।

यदि कोई अभिभावक वहां से सुतंष्ट नहीं होता तो संभागीय आयुक्त द्वारा गठित समिति में अपनी शिकायत कर सकता है। वहां भी राहत नहीं मिलने पर अभिभावक की व्यक्तिगत शिकायत पर कार्यवाही की जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी निजी स्कूलों के लिए आदेश निकालकर पांबद किया हुआ है कि तय पाठ्यक्रमों के अनुसार ही पुस्तकें पढ़ाई जाए। नियमों के अनुसार स्कूल खुलने के एक महीने में पुस्तकों का नाम, लेखक और दर सार्वजनिक करे और कम से कम तीन दुकानों पर पुस्तकें उपलब्ध हों। यही नहीं स्कूलों को 5 वर्ष से पहले ड्रेस नहीं बदलने के भी निर्देश दिए हुए है।

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