नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शीतकालीन सत्र में देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के विजय माल्या समेत 63 विलफुल डिफाल्टर्स के 7000 करोड़ का लोन ख़ारिज करने की खबर पर राज्यसभा में अपनी सफाई दी। जेटली ने स्पष्ट कहा कि यहां (राईट ऑफ) का मतलब लोन ख़ारिज करना नहीं बस उसे नॉन परफार्मिंग एसेट (एनपीए) की सूची में शामिल करना भर है। जेटली के मुताबिक सरकार इन सभी लोगों का पीछा नहीं छोडऩे वाली है।
अरुण जेटली ने साफ किया कि माल्या का लोन माफ नहीं किया गया बल्कि लोन राइट ऑफ किया गया है। राइट ऑफ करने का मतलब सिर्फ इतना होता है कि बैंक ने अकाउंटिंग बुक में लोन को नॉन परफार्मिंग एसेट्स यानी एनपीए मान लिया गया है। राइट ऑफ करने को लोन की माफी ना समझा जाए। माल्या से लोन की रिकवरी की सारी कोशिशें आगे भी जारी रहेंगी। जेटली ने माल्या का लोन माफ होने की खबरों पर सफाई देते हुए कहा कि (राईट ऑफ) का मतलब ये बिलकुल ना मानें कि सरकार या बैंक ने कर्ज माफ कर दिया। अभी भी सभी लोन डिफाल्सटर्स को लोन चुकाना होगा। इस कर्ज को माफ नहीं किया गया है और इसे वसूलने की कोशिश जारी रहेगी।

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