जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार और डीजी ईएसआईसी की अनुमति के बिना याचिका दायर करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता कर्मचारी राज्य बीमा निगम की मेडिकल अधीक्षक सविता वी. नकारा पर 75 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है।
अदालत ने हर्जाना राशि डॉ. रतन चौधरी को अदा करने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने केन्द्र सरकार को जांच कर पता लगाने को कहा है कि उच्चाधिकारियों की अनुमति के बिना और ईएसआईसी के नाम का दुरुपयोग कर याचिका कैसे दायर की गई। न्यायाधीश केएस झवेरी और न्यायाधीश वीके व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश मेडिकल अधीक्षक व अन्य की ओर से दायर याचिका का निपटारा करते हुए दिए।
मामले के अनुसार डॉ. रतन चौधरी ने उपार्जित अवकाश के संबंध में केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण में याचिका दायर की थी। अधिकरण ने गत सितंबर माह में याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला कर दिया। इस आदेश के खिलाफ मेडिकल अधीक्षक ने विभाग व स्वयं को याचिकाकर्ता बनाकर केट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर दी। सुनवाई के दौरान अदालत के सामने आया कि याचिका दायर करने से पहले विभाग की अनुमति नहीं ली गई। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए मेडिकल अधीक्षक के खिलाफ हर्जाना लगाते हुए प्रकरण की जांच करने के आदेश दिए हैं।