reservoirs

नई दिल्ली 04 अक्‍टूबर, 2018 को समाप्‍त सप्‍ताह में देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 120.921अरब घन मीटर जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 75 प्रतिशत है। 27 सितंबर 2018 को समाप्‍त हुए सप्‍ताह में यह 76 प्रतिशत था। 04 अक्‍टूबर, 2018 को समाप्त सप्ताह के दौरान यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 113 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 104 प्रतिशत है।
इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।

क्षेत्रवार संग्रहण स्थिति

उत्तरी क्षेत्र

उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण क्षमता 16.53 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 92 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की लाइव संग्रहण क्षमता 82 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 82 प्रतिशत था। इस तरह देखा जाए तो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में जल संग्रहण बेहतर है और पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी अच्‍छा रहा है।

पूर्वी क्षेत्र

पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 15.85 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 84 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 77 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 76 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर रहा है, और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी अच्‍छा रहा है।

पश्चिमी क्षेत्र

पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 31.26 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 17.47 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 56 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 72 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 68 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कमतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण की तुलना में भी कम है।

मध्य क्षेत्र

मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 33.75 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 80 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 65 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 74 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर रहा है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी अच्‍छा रहा है।

दक्षिणी क्षेत्र

दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश (एपी), तेलंगाना (टीजी), एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 37.32 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 72 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 55 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 68 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण से बेहतर है, और पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी अच्‍छा रहा है।

पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्‍थान, ओडिशा, महाराष्‍ट्र, उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखंड, मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़, एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण कमतर है उनमें झारखंड,पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और गुजरात शामिल हैं।

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