जयपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का नया गणवेश आ गया है। देश भर में 11 अक्टूबर को विजयादशमी पर्व पर स्वयं सेवक नए गणवेश में ना केवल दिखे, बल्कि पहली बार इस नए गणवेश में शामिल की गई फुल पेंट में पथ संचलन करते भी दिखें। संघ के अस्तित्व में आने के बाद से यह पहली बार हो रहा है कि स्वयं सेवक फुल पेंट में दिखें। अब तक स्वयं सेवकों की गणवेश में शामिल रही खाकी की आफ निकर अब विदा कर दी गई है। विजयादशमी पर्व पर देश भर में होने वाले पथ संचलनों और अ-श पूजन कार्यक्रमों में स्वयं सेवक भूरी रंग की फुल पेंट में दिखें। गणवेश में सिर्फ ऑफ निकर के स्थान पर फुल पेंट शामिल की गई है। सफेद शर्ट और काली टोपी में कोई बदलाव नहीं है। हालांकि खाकी मौजे के स्थान पर अब गहरे भूरे रंग के मौजे होंगे। जूता काले रंग के रहेंगे।
अब संघ के गणवेश में खाकी निकर के स्थान पर गहरे भूरे रंग की फु ल पेंट रहेगी। 11 अक्टूबर को जयपुर, समेत देशभर में होने वाले पथ संचलन में स्वयं सेवक नए गणवेश में पथ संचलन करेंगे। हालांकि मेरठ, गाजियाबाद समेत कुछ शहरों में दुर्गाष्टमी व नवमी के दौरान हुए कार्यक्रमों में स्वयं सेवक नए गणवेश में पहुंचे। नए गणवेश के प्रति काफी कौतूहल भी दिखा। विजय दशमी का दिन संघ का स्थापना दिवस भी है। इस दिन पूरे देश में पथ संचलन, गोष्ठी और दूसरे सम्मेलन होते हैं। जयपुर में भी सभी नगरों में पथ संचलन निकलेगा, जिसमें हजारों स्वयं सेवक नए गणवेश में कदमताल करते दिखेंगे।
– 91 साल का साथ रहा खाकी आफ निकर का
विजयादशमी पर्व पर आखिर 91 साल से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पहचान रहे खाकी रंग की आफ निकर का साथ छूट जाएगा। अब इस संगठन के गणवेश से बाहर हो जाएंगे और समय के साथ बदलाव ला रहे संगठन की पहचान अब भूरे रंग की पतलून बनेगी। संघ की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की राजस्थान के नागौर में हुई तीन दिवसीय सालाना बैठक में गणवेश बदलने का फैसला किया था। 1925 में संघ की स्थापना के बाद से ही ढीला-ढाला खाकी निकर संगठन की पहचान रहा है। शुरू में 1940 तक संघ के गणवेश में खाकी कमीज और निकर होते थे और बाद में सफेद कमीज इसमें शामिल हो गई। हालांकि ढीले-ढाले खाकी निकर को लेकर सवाल उठने लगे और व्यंग्यात्मक बयान भी सामने आने लगे। आफ निकर के चलते किशोर और युवा वर्ग भी संघ के कार्यक्रमों में आने से परहेज करता था। ऐसे में संघ ने गणवेश में बदलाव करने का फैसला करते हुए आफ निकर को फुल पेंट में बदला है। नए गणवेश का कपड़ा और सिलाई भी राजस्थान के भीलवाड़ा में तैयार किया गया है। भीलवाड़ा की कपड़ा मिलों में यह गणवेश तैयार किया गया है। यहीं से ही पूरे देश में गणवेश भेजा गया है।