कोटा। राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी का कहना है कि कोटा में चल रहा तीन दिवसीय ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) देश में कृषि के क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास का सबसे बडा प्रतीक है। ‘ग्राम‘ के दूसरे दिन “कोटा में कृषि प्रचुरता- उभरते अवसर“ विषय पर आयोजित सेमिनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार में हाडौती सम्भाग के चारों जिलों कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड में कृषि क्षेत्र में उभरते अवसरों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इसके तहत यहां कृषि यंत्रीकरण, औषधीय फसलों में गुणवत्ता, दलहन, जौ, अमरूद और आंवले की खेती, कृषि वानिकी की आवश्यकता और जल संरक्षण जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई।
राजस्थान के सहकारिता मंत्री अजय सिंह ने कहा कि कोटा क्षेत्र कृषि में काफी समृद्ध है। यहां पानी की कमी नहीं है और 50 प्रतिशत भूमि कृषि योग्य है। ऐसे में यहां किसानों के पास अपनी आय को दोगुना करने के पर्याप्त अवसर है। राजस्थान सरकार द्वारा किसानों के जीवनस्तर को सुधारने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के लिए ब्याज की दरें 12-14 प्रतिशत से घटा कर 7-10 प्रतिशत कर दी गई है। इसके अतिरिक्त किसानों को बहुत कम प्रीमियम पर अधिकतम बीमा कराने का प्रयास भी किया गया है। स्पेन दूतावास में कृषि, मछली पालन, खाद्य व पर्यावरण की काउंसलर, सुश्री टेरेसा बारेस बेनलाॅक ने स्पेन में कृषि यंत्रीकरण, फूड चेन और वैविध्यपूर्ण उत्पादन के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि जब कृषि और भोजन के क्षेत्र में टिकाउ विकास में सहयेाग करना हो तो तकनीकी, आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक पहलूओं की ओर ध्यान देना आवश्यक है। हिमालया के वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक, डाॅ.आर.कानन ने कृषि संग्रहण की श्रेष्ठ विधियों की जानकारी दी। अच्छी गुणवत्ता की कृषि उपज के संग्रहण के बारे में ध्यान रखने योग्य पहलूओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उचित स्थान का चुनाव, किसान का प्रशिक्षण, जलवायु और मौसम का पैटर्न तथा मिट्टी की गुणवत्ता इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। जोधपुर स्थित काजरी अनुसंधान संस्थान से जुडे एमरिटस प्रोफेसर और आईसीएआर एरिड लेगुमेस प्रोजेक्ट के पूर्व प्रोजेक्ट काॅर्डीनेटर, डी.कुमार का कहना था कि दालों का भारी उत्पादन करना जरूरी है, क्योंकि ये खेती की दृष्टि से लाभदायक है। दालों के उत्पादन के लिए पानी कम चाहिए और अधिक तापमान में इनका उत्पादन किया जा सकता है।
इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक, आर.के.तिवारी ने कहा कि अन्य फसलों के लिए कृषि योग्य भूमि बढाने में कृषि वानिकी को महत्वपूर्ण बताया। बिग बास्केट के एफ एंड वी प्रमुख, विनोद ने किसानों और उपभोक्ताओं के लिए सहज वितरण चैनल स्थापित करने के लिए खुदरा किराना व्यापारियों को महत्वपूर्ण बताया।
साॅफलेट माॅल्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रोेक्योरमेंट हैड, सचिन थोराट ने कहा कि जौ की खेती पर जोर दिया। उनका कहना था कि यह फसली चक्र के लिए अच्छी उपज है। इसके लिए पानी कम चाहिए और इसमें निवेश पर अच्छा लाभ मिल जाता है। एशियन डवलपमेंट बैंक के सीनियर प्रोजेक्ट आॅफिसर (नेचुरल रिर्सोसेज एंड एग्रीकल्चर) राजेश यादव ने कहा कि इस सम्भाग में जल संरक्षण के जरिए पानी के किफायती उपयोग को बढाना चाहिए और पानी की बर्बादी के स्रोत समाप्त करने चाहिए।