नई दिल्ली। 24 वर्षीय एमबीए के छात्र जयदीप शर्मा की दिलेरी ने देश की राजधानी में व्यापक स्तर पर चल रहे किडनी रैकेट का भांडफोड़ किया है। इस युवक ने अपनी जान पर खेलकर 40 दिन तक अस्पताल से किडनी बेचने व खरीदने के बारे में पुख्ता जानकारी जानकारी जुटाई। बाद में किडनी की खरीद फरोख्त में जुटे दलालों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में पुलिस की मदद की। बाद में पुलिस ने दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल से जुड़े कई ठिकानों पर दबीश देकर इस रैकेट की पोल खोल दी। पुलिस ने इस मामले में 4 कथित दलालों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया कि जयदीप शर्मा पुणे के एक संस्थान से एमबीए कर रहा है। गत वर्ष सिंतबर माह में उसका एक मित्र गुम हो गया। जब वह वापस लौटा तो उसने कुछ रुपयों के लालच में अपनी किडनी बेचने की बात बताई। यह बात सुनकर जयदीप को बड़ा झटका लगा, उसने इस गोरखधंधे की पोल खोलने की मन में ठान ली। उसने किडनी खरीदने वाले रैकेट को ढूंढऩा शुरू कर दिया। जयदीप जब भी किसी अस्पताल में जाता तो वहां किडनी बेचने वाला ही बताता। जयदीप ने अपनी किडनी 4 लाख रुपए में बेचने का ऑफर किया तो रैकेट से जुड़े दलाल उसके संपर्क में आए और किडनी खरीदने को तैयार हो गए। इनकी पोल खोलने को लेकर उसने एक न्यूज चैनल के रिपोर्ट से संपर्क भी किया और स्टिंग ऑपरेशन करने का प्लॉन बना लिया। इस मामले में उसने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच से भी संपर्क कर अपने साथ ले लिया। जब तक पुख्ता सबूत हाथ नहीं आ गए तब वह दलालों व किडनी खरीदने वालों के संपर्क में ही रहा। दलालों ने उसे आंध्रप्रदेश के एक निवासी के नाम पर आईडी प्रूफ बनाने की बात कही। ताकि किडनी डोनेट लेने वाले शख्स का परिवार सदस्य बताया जा सके। दलालों ने फर्जी कागजात तैयार करा उसे आंध्रप्रदेश का नागरिक भी बना दिया। इस पूरे घटनाक्रम को उजागर करने में 40 दिन का समय लगा तो जयदीप ने चैनल के रिपोर्ट के साथ मिलकर 200 घंटे का स्टिंग ऑपरेशन किया। पुलिस जांच में सामने आया कि दलाल किडनी खरीदने वाले मरीज से 30 से 40 लाख रुपए की वसूली करते थे।
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