जयपुर. राजस्थान प्रदेष कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं जयपुर जिलाध्यक्ष प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि मुख्यमंत्री षहरी जन-कल्याण शिविर10 मई से 10 जुलाई तक चलेगें। इनसे पूरे प्रदेष में जनता को कोई लाभ नहीं मिला, साथ ही जनता के जले पर नमक छिडकने का काम जयपुर नगर निगम के मेयर अषोक लाहोटी ने कर दिया, अब वो मुख्यमंत्री से भी बडे हो गये हैं। इन षिविरों को सफल बनाने की बजाय मेयर कहते हैं कि अब मैं जन सुनवाई करूंगा और अपनी जन-सुनवाई को लेकर बहुत भारी मात्रा में फिजुल खर्ची कर रहे हैं।
नगर निगम जयपुर के सभी अधिकारी, मुख्यमंत्री जन कल्याण षिविर को छोड़कर जयपुर नगर निगम के मेयर की चमचागिरी करनें में लगे हैं, लाखों रूपयों का टैन्ट लगाकर जन सुनवाई का नाम लिया गया है जबकि जयपुर की जनता सफाई, पटटे और विकास को तरस रही है। सरकार के नेताओं में होड़ लगी हुई है कि मुख्यमंत्री बडी हैं या जयपुर के मेयर बडे हैं। मेयर को जन-कल्याण षिविरों में 10 जुलाई तक प्रतिदिन जाकर जयपुर की जनता की समस्याओं का समाधान करना चाहिये था, वहीं पर सुनवाई करनी चाहिये थी, पटटे, टैक्स व अन्य जन-समस्याओं का समाधान करना चाहिये था लेकिन मेयर ने मुख्यमंत्री जन-कल्याण षिविरों को सफल बनाने की बजाय सभी अधिकारियों को लालकोठी मुख्यालय पर अपने स्वयं के जन-सुनवाई की नाटकबाजी के कार्यक्रम में व्यस्त कर दिया। मुख्यमंत्री जन कल्याण षिविर पहले ही खाली पडे हैं क्योंकि नगर निगम और सरकार ने जनता को कोई छूट प्रदान नहीं की है, नगर निगम की कमेटियांे को गठन आज तक नहीं हुआ है, नगर निगम और जेडीए तो पहले से ही भ्रष्टाचार का अडडा बने हुये हैं, ऐसे में जनता को थोडी बहुत उम्मीद मुख्यमंत्री जन-कल्याण षिविरों से हुई थी, इन षिविरों की हवा आज जयपुर नगर निगम के मेयर ने निकाल दी। मेयर खुद यह मानते हैं कि 10 जुलाई तक चलने वाले मुख्यमंत्री जन-कल्याण षिविरों का कोई औचित्य नहीं है इसलिये 10 जुलाई से पहले ही मेयर ने अपने महिमा मण्डल के लिये मेयर जन-सुनवाई कार्यक्रम जयपुर नगर निगम लालकोठी मुख्यालय पर षुरू कर दिया।
खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस पार्टी यह मांग करती है कि मुख्यमंत्री को जन-कल्याण षिविरों में स्टेट ग्रंाट के पटटे, कच्ची बस्तियों के पटटे, कृषि भूमि पर बसी काॅलोनीयों के पटटे, सरकारी भूमि पर बसी पुरानी काॅलोनीयों के पटटे आदि सहित सभी तरह के नगर निगम टैक्सों व स्टाम्प डयूटी पर जनता को बडी छूट प्रदान करनी चाहिये अन्यथा इन जन-कल्याण षिविरों को बंद कर देना चाहिये क्योंकि जयपुर नगर निगम के मेयर, अधिकारी व स्वायत षासन विभाग के अधिकारियों का इन षिविरों में जनता को सहायता पहुंचाने की बजाय परेषान करने का काम ज्यादा किया जा रहा है
खाचरियावास ने कहा कि मेयर मंगलवार को जन-सुनवाई करके क्या साबित करना चाहते हैं? उन्हें रोज नगर निगम कार्यालय में बैठना चाहिये, पुरानी परम्पराओं के अनुसार प्रतिदिन जन-सुनवाई करना मेयर का नैतिक कर्तव्य है। मेयर यह भूल गये हैं कि वो सिर्फ जयपुर के मेयर हैं, प्रदेष के मुख्यमंत्री या राजस्थान के गर्वनर नहीं है, उन्हें पूरा प्रदेष नहीं संभालना है, जयपुर की जनता के प्रति उनके नैतिक दायित्व है।