नई दिल्ली। पाकिस्तानी मीडिया ने अब अपनी ही सरकार को आईना दिखाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार द नेशन ने अपने संपादकीय में लिखा कि किस तरह से आतंकवाद के खिलाफ अपनी निष्क्रियता के कारण पाकिस्तान आज वैश्विक अलगाव के कगार पर खड़ा होता हुआ प्रतीत हो रहा है। इस संपादकीय में नवाज सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को भी निशाने पर लिया गया है।
द नेशन का यह संपादकीय इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसे सरकार के साथ-साथ वहां की आर्मी का भी नजदीकी माना जाता है। सीमा पार से आतंकी हमलों को उजागर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कोई कसर नहीं छोडऩे के संदर्भ का भी इसमें हवाला दिया गया है। कल ही पीएम मोदी ने पाकिस्तान को इशारों-इशारों में आतंकियों का दुलारा करार दिया था। इस संपादकीय में इस बात की तरफ भी इशारा किया गया है कि किस तरह से पाकिस्तान का सबसे करीबी चीन ने भी आतंकवाद के खिलाफ चिंता जताई है। लेख में कहा कि सरकार को बिना भेदभाव किए सभी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
पाकिस्तान को विश्व में अलग-थलग करने वाला पीएम मोदी का बयान यह दर्शाता है कि नई दिल्ली किस कदर अपने बयान के प्रति गंभीर है। सार्क सम्मेलन के रद्द होने से लेकर पाकिस्तानी कलाकारों का बॉयकाट करने तक मोदी सरकार हर वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की कमजोरियों को उजागर कर रही है। जब पाकिस्तान अलग-थलग पड़ जाएगा तो इसके परिणाम इतने खतरनाक होंगे जिनकी पाक कल्पना भी नहीं कर सकता। अखबार ने पाकिस्तानी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की भी जमकर आलोचना की है। कम से कम इस बात को तो स्वीकार कर लेना चाहिए कि पाकिस्तान अभी भी यह तय नहीं कर पा रहा है कि नॉन स्टेट एक्टर अच्छे हैं या बुरे। पहले भी पाकिस्तानी सांसदों ने उन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा, जिनके बारे में बार-बार भारत यह कहता रहा है कि इस्लामाबाद आतंक को स्पांसर कर रहा है। पत्रकार साइरिल की विदेश यात्रा पर रोक लगाना सरकार की हताशा दर्शाती है। संपादकीय में हाल में डॉन न्यूज में छपी रिपोर्ट के बाद उसके रिपोर्टर साइरिल अल्मीडा के साथ पाक सरकार के बर्ताव का भी जिक्र किया गया है। संपादकीय में लिखा गया है नॉन स्टेट एक्टर पर कार्रवाई करने की बजाय सरकार ने साइरल अल्मीड़ा के देश छोडऩे पर रोक लगा दी। यह निर्णय सरकार की हताशा को दर्शाता है। पिछले हफ्ते भी द नेशन ने अपने सम्पादकीय में लिखा था कि हाफिज और अजहर के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय सेना और सरकार मिलकर प्रेस को लेक्चर दे रही है।

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