जयपुर। राजस्थान के सबसे बड़े गैंगस्टर में शुमार आनन्दपाल सिंह की पुलिस एनकाउंटर में शनिवार रात को मौत हो गई। राजस्थान के चुरु जिले के मालासर में एक घर में आनन्दपाल सिंह के छिपे होने की सूचना पर एसओजी व चुरु पुलिस टीम ने उस घर की घेराबंदी की तो आनन्दपाल सिंह ने ए.के.47 राइफल से पुलिस दल पर ताबडतोड गोलियां दागी, जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली से आनन्दपाल सिंह मारा गया। रात को जैसे ही सोशल मीडिया, न्यूज चैनल पर आनन्दपाल सिंह के शूटआउट की खबरें आने लगी तो माहौल अलग ही दिखने लगा। सभी ने राजस्थान पुलिस की इस कामयाबी की सराहना की, हालांकि रविवार सुबह जैसे ही अखबारों और चैनलों पर यह खबरें आई तो कई क्षेत्रों जैसे
शेखावाटी, मारवाड में शूटआउट को लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी देखनी को मिली है। सोशल मीडिया पर एक जाति विशेष ने इसे गलत बताते हुए फर्जी एनकाउंटर बताया और सरकार व पुलिस के प्रति गुस्सा जाहिर किया। गूगल पर आनन्दपाल सिंह का जबरदस्त ट्रेण्ड रहा। आनन्दपाल शूटआउट को लेकर विशेष रुझान रहा। हर मीडिया साइटें पर आनन्दपाल सिंह की खबरें ज्यादा पोस्ट हुई और शेयर भी हुई। उधर, इस शूटआउट को लेकर आनन्दपाल सिंह के परिजनों, परिचितों और शुभचिंतकों में खासा गुस्सा है। लाडनू में उसके घर पर हजारों लोग जमा है। वे आनन्दपाल सिंह के समर्थन में नारे लगा रहे थे तो पुलिस व सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे थे। जिस हिसाब से सोशल मीडिया और एक जाति विशेष में गुस्सा देखा जा रहा है, उससे लगता है कि कुछ दिन सरकार व पुलिस के लिए मुश्किल भरे हो सकते हैं। वहीं परिजन इस शूटआउट को लेकर कोर्ट कचहरी में जा सकते हैं। वे पहले भी हाईकोर्ट में याचिका लगा चुके हैं कि राजस्थान पुलिस आनन्दपाल सिंह का एनकाउंटर कर सकती है। आनन्दपाल सिंह के वकील भी इस तरह की शिकायत हाईकोर्ट में दर्ज करवा चुके हैं और सरकार व राज्यपाल को भी दे चुके हैं। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि परिजन आनन्दपाल सिंह शूटआउट को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में ले जा सकती है। जैसे की दारा सिंह उर्फ दारिया, सोहराबुद्दीन जैसे केसों में हुआ है, वैसा ही कुछ इस केस में भी हो सकता है। ये दोनों केस अभी कोर्ट में लंबित है और सुनवाई चल रही है। दारा सिंह, सोहराबुद्दीन भी नामी बदमाश थे। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आनन्दपाल सिंह के परिजन भी इस मामले को कोर्ट में लेकर जाएंगे।
हालांकि परिजन या शुभचिंतक चाहे कुछ भी सोचे, लेकिन एसओजी की इस कार्रवाई को राजस्थान के लोग सही ठहरा रहे हैं। वैसे भी जिस तरह आनन्दपाल सिंह ने सरेण्डर करने के बजाय पुलिस पर ए.के.47 से गोलियां दागनी शुरु कर दी, उससे जवाब गोली से देना जरुरी थी। क्योंकि पूर्व में भी आनन्दपाल सिंह इस तरह की पुलिस घेराबंदी में गोलियां चलाते हुए भाग चुका था। इसमें एक सिपाही की मौत भी हुई थी और कुछ घायल हुए थे। ऐसे में पुलिस टीम ने भी पूरी सतर्कता बरतते हुए आनन्दपाल सिंह को जवाबी कार्रवाई में मार गिराया।

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