लंदन। चर्च ऑफ इंग्लैंड के प्रबंध निकाय में आज समलैंगिकों के हितों से जुड़े मुद्दों पर मतदान होने जा रहा है। इस दौरान इस बात पर मतदान होगा कि क्या समलैंगिकों को विशेष सेवाएं दी जानी चाहिए या नहीं। गिरिजाघर में रोजाना ही कई विवाह, नामकरण समारोह और प्रार्थनाओं का आयोजन होता रहा है और अब समर्थक समलैंगिकों को उनकी नई पहचान देने की मांग कर रहे हैं।
समलैंगिंकों के लिए इस तरह की सेवा बैपर्टिम (ईसाई समुदाय में होने वाला एक धार्मिक कृत्य) नहीं होगी। हालांकि, इस पहल को बाइबिल के कुछ उद्धत से झटका लग सकता है, जिसमें कहा गया है कि मानव या तो पुरूष या फिर महिला के तौर पर पैदा होते हैं। पादरियों की चार दिवसीय सभा बैठक न्यूयार्क में शुक्रवार से शुरू हुई है। शनिवार को सभा ने तथाकथित रूपांतरण प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक प्रस्ताव के पक्ष में स्पष्ट रूप से मतदान किया। चर्च ऑफ इंग्लैंड के आर्कबिशप ऑफ कैंटरबरी (वरिष्ठ पादरी) जस्टिन वेल्बी ने कहा कि चर्च को लैंगिकता पर नया रुख अपनाने के लिए तीन साल का समय लगेगा।