मुम्बई। टाटा समूह के अध्यक्ष पद से साइरस मिी को हटाने के बाद से इस समूह में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। मिस्त्री को यह कहते हुए हटाया गया कि इनकी देखरेख में समूह ठीक से कार्य नहीं कर रहा है और कंपनियों को घाटा हो रहा है। वे मनमानी कर रहे हैं। चार साल पहले रिटायर्ड हो चुके रतन लाल टाटा को फिर इस समूह का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया। दो दिन पहले हुए इस घटनाक्रम के बाद टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए गए सायरस मिस्त्री ने अब अपनी चुप्पी तोड़ी है। मिी ने समूह बोर्ड के सदस्यों को ईमेल किया है, जिसमें उन्होंने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए इसे कार्पोरेट जगत के इतिहास में अद्वितीय कदम करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नमक से लेकर सॉफ्टवेयर ग्रुप तक में उन्हें कभी स्वतंत्रता के साथ काम ही नहीं करने दिया। इसके लिए टाटा संस के नियमों में परिवर्तन करके चेयरमैन की ताकतों को कम कर दिया था। सायरस ने ईमेल में लिखा है कि जिस तरह से उन्हें टाटा से बाहर किया गया है, उन्हें झटका लगा है। इसके लिए उनके पास कोई शब्द नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने बोर्ड की कार्रवाई को अवैध और गैरकानूनी करार दिया है। सायरस ने कहा, बिना किसी स्पष्टीकरण के चेयरमैन को हटा दिया जाता है और इतना ही नहीं उसे अपनी सफ ाई में बोलने का मौका भी नहीं दिया जाता है। अचानक की गई इस कार्रवाई और स्पष्टीकरण की कमी ने कई तरह की अटलकों को पैदा कर दिया है। इससे मेरी और समूह की प्रतिष्ठा को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। टाटा समूह में इस विवाद का असर कंपनी के शेयरों पर भी पड़ रहा है। कंपनी के शेयरों में 88 अंक की गिरावट दर्ज की गई है।उधर, मिस्त्री के कोर्ट में जाकर उसे हटाए जाने के फैसले को चुनौती देने को लेकर आ रही अटकलों के बीच टाटा समूह ने भी हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की है।