जयपुर। हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख त्यौहार दीपावली पर्व आज 28 अक्टूबर से धनतेरस के साथ शुरु हो गया है। एक नवम्बर को भैयादूज तक चलने वाले दीपोत्सव के स्वागत के लिए बाजार रंग-बिरंगी रोशनी से सज गए हैं तो हर घर में भी दिवाली मनाने की पूरी तैयारियां हो गई है। घरों में सजावट शुरु हो गई है तो रात को पटाखों का शोर भी होने लगा है। धनतेरस पर लोगों ने सोने-चांदी के साथ पीतल के बर्तनों की खरीदादी की, वहीं चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े चिकित्सकों व कर्मियों और सामाजिक संगठनों ने भगवान धंवंतरी की पूजा की। साथ ही कुबेर की पूजा हुई। इस दिन यम की भी पूजा होती है। जयपुर के चांदपोल दरवाजे पर भगवान यम की पूजा अर्चना की गई। जयपुर समेत प्रदेश और देश के प्रमुख शहरों-कस्बों में बर्तनों की दुकानों पर तो लोगों की भीड़ रही, वहीं ज्वैलर्स के यहां भी लोगों का हुजूम उमड़ा रहा। दुकानदारों ने भी बाजारों, दुकानों और शोरुमों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजा रखा है। व्यापारियों के मुताबिक इस दिन पूरे राजस्थान में एक हजार करोड़ रुपए का कारोबार ज्वैलरी, बर्तनों, बही खातों , रियल स्टेट और इलेक्टॉनिक्स सामान में हुआ है। इसी तरह देश के दूसरे शहरों में भी खरीदारी का अच्छा रिस्पांस रहा। इसी तरह 29 अक्टूबर को नरक चौदस (रुप चौदस भी कहते हैं)है। इस दिन घर व प्रतिष्ठान के साथ अपने तन और मन की सफ ाई का रिवाज है। यह दिन महिलाओं के लिए खास है। वे विशेष श्रृंगार करती है और पूजा अर्चना भी। इस दिन आटे का चौमुंखा दीपक जलाकर दरवाजे पर रखा जाता है। इस दिन को छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इसी तरह 30 अक्टूबर को दिवाली पर घर-प्रतिष्ठान दीपकों से सजेंगे। मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना होगी। बाजारों में रोशनी सजावट चरम पर रहेगी और पूरी रात पटाखों के शोर से आबाद रहेगी। 31 अक्टूबर को मंदिरों में अन्नकूट का भोग लगेगा और गोवर्धन पूजा होगी। एक नवम्बर को भैयादूज के साथ दीपोत्सव की पूर्णाहुति होती है।

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