फेस्टिवल आॅफ एजुकेशन
जयपुर. मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा है कि परिवार और समाज को लड़कियों को जीवन में आगे बढ़ने के अवसर चुनने का मौका देना चाहिए। उन्हें अपना करियर संवारने और शादी के समय के बारे में स्वयं निर्णय लेने के अधिकार देना चाहिए। उन्होंने कहा कि लड़कियांे को यदि शिक्षा मिल जाए तो वे अपना ये अधिकार और सम्मान पा सकती हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल, कार्यस्थल और आम जीवन में लिंग भेद को दूर करने का भी यही तरीका है कि लड़कियां लड़कों के साथ भेदभाव के बिना पढे़ं और आगे बढे़ं।
राजे फेस्टिवल आॅफ एजुकेशन के दूसरे दिन रविवार को एक सत्र में संवाद कर रही थीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान डिजिटल दौर में लड़कियों के लिए आगे बढ़ने के असीमित मौके हैं, लेकिन इन्हें हासिल करने के उन्हें अच्छी शिक्षा लेनी होगी और कुशल बनना होगा। उन्होंने कहा कि बालिकाओं को सःशक्त बनाने के लिए उनके अभिभावकों और समाज सभी को साथ जुटना होगा। बालिकाओं को दिया पढ़ो-लिखो, स्वस्थ रहो का संदेशमुख्यमंत्री ने प्रदेश के स्कूलों में स्वच्छता, शौचालयों, सेनेटरी नेपकिन और पानी की उपलब्धता की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि बालिकाओं की उपस्थिति बढ़ाने और उनकी पढ़ाई को सुचारू रखने के लिए राज्य सरकार ने इस दिखा में गंभीर प्रयास किए हैं और उनके सार्थक परिणाम भी मिलने लगे हैं। उन्होंने कहा कि मासिक धर्म जैसी प्राकृतिक शारीरिक क्रिया के चलते लड़कियों को स्कूल से छुट्टी करने की नौबत न आए इसके लिए सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से सेनेटरी नेपकिन मशीनें उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बालिकाओं को पढ़ो लिखो और स्वस्थ रहो का संदेश दिया तथा लड़कों से उनके प्रति सकारात्मक सोच रखने और सम्मान देने की अपील की।
राजे ने कहा कि प्रदेश की बालिकाओं को शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध कराना और बराबरी का अधिकार दिलाना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में ऐसा सकारात्मक माहौल तैयार किया है, जिसमें बालिकाएं सःशक्त बनकर विश्व नागरिक के रूप में अपने आप को साबित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि बच्चियां पढ़-लिखकर परिवार और प्रदेश का भाग्य बदल सकती हैं और नये भारत के निर्माण में योगदान दे सकती हैं। मुख्यमंत्री ने स्वच्छता, साफ-सफाई, शौचालय जैसे मुद्दों पर समाज में हर वर्ग के बीच हर मंच पर विचार-विमर्श करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि जीवन के इन जरूरी आयामों पर चर्चा करने और सही मत रखने में हमें शर्म और हिचक महसूस नहीं होनी चाहिए।