नई दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा पद पर रहते हुए लिए गए फैसले आज भी लोगों के जहन में है। फिर भी जाते-जाते उनके द्वारा आईआईटी खडग़पुर के एक प्रोफेसर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामले में राहत भरा फैसला देना लोगों को एक बार फिर उनकी दूरगामी सोच को जहन में उभार गया।
बताया जाता है कि आईआईटी खडग़पुर के प्रोफेसर राजीव कुमार ने आईआईटी प्रवेश परीक्षा में होने वाली धांधली को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था। इसके बाद ही उन्हें अनिवार्य रुप से सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। इस मामले में प्रणब मुखर्जी ने विगत माह अपना पद छोडऩे से पहले राजीव कुमार को दी गई सजा को रद्द कर दिया था। जिस पर अब प्रोफेसर राजीव कुमार ने राहत की सांस ली है। हालांकि आईआईटी के इस फैसले पर उन्होंने स्टे ले रखा है, लेकिन मामला उच्च न्यायालय में लंबित है।
प्रोफेसर राजीव कुमार के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामले में विगत सप्ताह ही मानव संसाधन मंत्रालय ने आईआईटी-खडग़पुर निदेशक को प्रणब मुखर्जी के फैसले का अनुपालन करने का आदेश जारी किया था। अपने आदेश में मानव संसाधन मंत्रालय ने लिखा कि मुझे प्रोफेसर राजीव कुमार द्वारा 3 सितंबर 2014 को दाखिल की गई याचिका का जिक्र करने का निर्देश दिया गया है और यह कहने का कि भारत के राष्ट्रपति ने आईआईटी-खडग़पुर के कुलाध्यक्ष होने की अपनी क्षमता से अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा को निरस्त कर दिया है।