जयपुर। राजस्थान रिफाइनरी परियोजना को केन्द्र सरकार से स्वीकृति मिलने के एक दिन बाद गुरुवार को राजस्थान सरकार तथा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कापोर्रेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के बीच बाड़मेर रिफाइनरी के लिए संयुक्त उपक्रम समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अनुसार एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड नाम से संयुक्त उद्यम कम्पनी बनेगी जिसमें एचपीसीएल की 74 प्रतिशत और राजस्थान सरकार की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। इस परियोजना पर 43 हजार 129 करोड़ रुपये की लागत आएगी। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की उपस्थिति में मुख्यमंत्री निवास पर समझौता पत्र पर राज्य सरकार की ओर से प्रमुख शासन सचिव खान एवं पेट्रोलियम अपर्णा अरोरा तथा एचपीसीएल की ओर से निदेशक (वित्त) जे. रामास्वामी ने हस्ताक्षर किए। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर रिफाइनरी की स्थापना के लिए अब तक की प्रगति पर संतोष जाहिर किया। उन्होंने निर्देश दिया कि केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने के बाद रिफाइनरी के काम में और तेजी लाई जाए।
रि-नेगोशिएशन के कारण निवेश पर आय 2 की बजाय 12 प्रतिशत
राजे ने कहा कि राजस्थान रिफाइनरी के लिए सभी जरूरी स्वीकृतियां तय समय सीमा में प्राप्त कर ली जाएंगी और हमारा प्रयास है कि उसके बाद भूमि पूजन करवाकर शीघ्र काम शुरू करवा दिया जाये। उन्होंने कहा कि हमारे अधिकारियों और एचपीसीएल के बीच राज्यहित में सकारात्मक सोच के साथ हुए रि-नेगोशिएशन के परिणामस्वरूप इस परियोजना की लागत में 40 हजार करोड़ रुपये की महत्त्वपूर्ण बचत सुनिश्चित हुई है। उन्होंने कहा कि शर्तों के पुनर्निर्धारण के बाद अब राज्य को पूर्ववर्ती समझौते में तय किए गए दो प्रतिशत की बजाय 12 प्रतिशत रिटर्न आॅन इन्वेस्टमेंट (निवेश पर आय) मिलेगा।
रिफाइनरी क्षेत्र में कौशल विकास केन्द्रों से जुड़ेंगे युवा
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाड़मेर रिफाइनरी बीएस-6 मानक के पेट्रो उत्पाद बनाने वाली देश की पहली रिफाइनरी परियोजना होगी जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। उन्होंने अधिकारियों को आईटीआई तथा कौशल विकास केन्द्रों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को रिफाइनरी और उससे जुड़े उद्योगों में रोजगार पाने के लिए तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की स्थापना की संभावना भी तलाशी जाए।
पश्चिमी राजस्थान बनेगा सहायक उद्योगों का हब
राजे ने कहा कि राजस्थान के कच्चे तेल से पेट्रोलियम तथा कई तरह के पेट्रो-केमिकल उत्पाद तैयार करने के लिए स्थापित की जा रही इस परियोजना से न केवल बाड़मेर अपितु पूरे पश्चिमी राजस्थान की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान पेट्रोलियम सहायक उद्योगों के हब के रूप में उभरेगा जिससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार के ढेरों अवसर पैदा होंगे। इसके लिए उन्होंने उद्योग विभाग को विशेष प्रयास कर स्थानीय लघु उद्यमियों को सहायक उद्योग स्थापित करने के लिए प्रेरित करने का सुझाव दिया। हस्ताक्षर समारोह के दौरान जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप और खान एवं पेट्रोलियम राज्यमंत्री सुरेन्द्र पाल सिंह, मुख्य सचिव अशोक जैन, एचपीसीएल के सीएमडी एमके सुराणा और राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव खान एवं पेट्रोलियम एनसी गोयल सहित विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव, सचिव तथा एचपीसीएल और खान एवं पेट्रोलियम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
रिफाइनरी की ओर तेजी से बढ़ते कदम
-18 अप्रैल, 2017 को नये सिरे से एमओयू के बाद परियोजना पर तेज गति से अमल के लिए 22 मई, 2017 को टास्क फोर्स का गठन।
-समिति ने मूलभूत जरूरतों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए संबंधित विभागों के साथ लगातार बैठकें की।
-16 अगस्त, 2017 को केन्द्र सरकार ने परियोनजा को स्वीकृति प्रदान की।
-17 अगस्त, 2017 को रिफाइनरी के लिए संयुक्त उद्यम करार पर हस्ताक्षर।
-4813 एकड़ भूमि की बाउण्ड्री वॉल के लिए निविदा जारी कर काम शुरू।
राजस्थान की रिफाइनरी में क्या है खास
-देश की पहली परियोजना जहां रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल कॉम्प्लेक्स एक साथ।
-4 वर्ष की रिकॉर्ड अवधि में पूरा होगा काम। देश की पहली बीएस 6 मानकों वाली रिफाइनरी परियोजना।
-रिफाइनरी के वेस्ट पेटकोक से बनेगी बिजली। 270 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होगा।
-रिफाइनरी के अलावा सहायक उद्योगों में मिलेंगे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर।
-रिफाइनरी परिधि क्षेत्र में बनेगा ग्रीन जोन। साथ ही, नवीन औद्योगिक क्षेत्र का विकास किया जाएगा।