जयपुर। भरतपूर में 2014 में तेजपाल जाटव की मौत का मामला अब एसओजी के लिए गले की फांस बनता दिखाई दे रहा है। हाईकोर्ट मामले की सुनवाई करते हुए। एसओजी के अनुसंधान अधिकारियों को खूब खरी-खरी सुनाई। तथा एसओजी की अब तक की जांच को रद्द करते हुए एसओजी के अतिरिक्त अधीक्षक करन शर्मा को दो महीने में जांच करने के निर्देश दिए हैं। मृतक जाटव की पुत्री ज्योति ने मामले में हत्या की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी लेकिन पहले पुलिस और फिर एसओजी ने इसे आत्महत्या करार दिया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आईजी दिनेश एमएन से पूछा कि क्या वे इस केस में अभी तक हुई जांच से संतुष्ट हैं। लेकिन आईजी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। जिस पर अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे अनुसंधान अधिकारियों के कारण ही एसओजी बदनाम हो रही है।अदालत ने गुरुवार को अपने अंतरिम निर्देश में कहा कि यदि जांच में यह मामला हत्या का पाया जाए तो पूर्व के अनुसंधान अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। मामले में अदालती आदेश के पालन में एसओजी के आईजी दिनेश एमएन भी गुरुवार को अदालत में पेश हुए थे।
अदालत ने मृतक के फांसी लगाने के संबंध में पेश किए गए फोटो को देखकर उसकी फांसी पर भी संदेह जताया। जिस पर आईजी दिनेश एमएन ने कहा कि वे मामले में खुद निरीक्षण कर लेंगे। अदालत ने आईजी के आश्वासन के बाद केस की जांच एसओजी को नए सिरे से करने के लिए कहा। मामले के अनुसार, मृतक की बेटी ने याचिका दायर कर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की गुहार की है। याचिका में कहा कि प्रार्थिया के साथ 2014 में कोचिंग सेंटर के टीचर्स ने छेड़छाड़ की थी। जब उसके पिता ने टीचर्स से बात की तो उन्होंने मारपीट की। बाद में उसके पिता की लाश 10 अक्टूबर को सेवर के पास सुनसान खंडहर में मिली। मामले में हत्या की रिपोर्ट दर्ज हुई। लेकिन पुलिस ने अनुसंधान कर हत्या को आत्महत्या का माना।