जयपुर। राजस्थान के बीकानेर में बेहिसाब जमीन खरीद फरोख्त मामले रार्बट वाड्रा पर शिकंजा कसता दिखाई दे रहा है। राज्य सरकार ने बीकानेर जमीन घोटाले संबंधी सभी 18 एफआईआर सीबीआई को सौंप दी है। जिस कारण वाड्रा मुश्किल में फंसते दिखाई दे रहे हैं। वहीं यह भाजपा सरकार का मास्टर स्ट्रोक भी है जिससे वे सीधे गांधी परिवार को बैकफुट पर ला सकते हैं। जिससे कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद एवं प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें बढ़ जाएगी। जमीनों की खरीद-फरोख्त के मामले में वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी (एसएलएच) कंपनी का नाम भी शामिल है। इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने से संबंधित आवश्यक कार्यवाही पूरी कर ली गई है। नोटिफिकेशन जारी कर केंद्रीय कार्मिक विभाग के सचिव को सिफारिशी चिट्ठी भी भेज दी है। हालांकि, यह पूरा मामला बेहद गोपनीय रखा गया है। जमीन घोटाला कोलायत में महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के विस्थापितों के नाम पर जमीनों के फर्जी आवंटन से जुड़ा है। दरअसल, जिन लोगों के नाम पर जमीनें आवंटित हुईं, वे असल में थे ही नहीं। ऐसे में आरोपियों ने तत्कालीन पटवारी, गिरदावर, नायब तहसीलदारों से मिलकर जमीनों का फर्जी तरीके से साल 2006-07 में नामांतरण करवा लिया। जमीनें आगे से आगे बिकती गईं, इनमें वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट्स ने भी 150 बीघा और 125 बीघा जमीन खरीदी थी।
राज्य सरकार के अनुसार मामले का खुलासा 2010 में हुआ, लेकिन राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कुछ नहीं किया। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद फर्जी आवंटन से जुड़े 16 केस गजनेर और दो केस कोलायत पुलिस थाने में वर्ष 2014 में दर्ज हुए हैं। इनमें चार केस वाड्रा की कंपनी से जुड़े हैं। पुलिस ने अभियुक्तों के खिलाफ कोर्ट में चालान तो पेश कर दिया, लेकिन जांच 173 (8) में पेंडिंग रखी गई है। वाड्रा की कंपनी की भूमिका की जांच लंबित है। आरोप है कि वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने सरकार के अधिकारियों की मिलीभगत से महज 79 लाख रुपए में बीकानेर में 275 बीघा जमीन खरीदी। बीकानेर में किसानों की जमीन हड़पने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय चार अभियुक्तों की 1.18 करोड़ की चल-अचल संपत्तियों को कुर्क कर चुका है। इनमें जय प्रकाश बगरवा, पूर्व पटवारी उमा चरण शर्मा, पूर्व नायब तहसीलदार फकीर मोहम्मद और पूर्व पटवारी महावीर स्वामी शामिल है। इन पर गैर-मौजूदा व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए दस्तावेजों के आधार पर सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से आवंटित करने का आरोप है। मानाजा रहा है कि केंद्र भी इस मामले में सीबीआई जांच कराने में ज्यादा देर नहीं लगाएगा। क्योंकि, गांधी एवं वाड्रा परिवार और कांग्रेस को घेरने के लिए इससे बड़ा कोई मामला और नहीं है। प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और इस दौरान जमीन घोटाले से जुड़ा यह मामला कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकता है।
घोटाले से जुड़ी 18 एफआईआर सीबीआई को सौंपी ।