भोपाल। मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षा जगत से जुड़े लोगों को कई सौगातें दीं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की होने वाली भर्ती में अतिथि शिक्षकों के लिए 25 प्रतिशत पद आरक्षित रखे जाएंगे। तीस वर्ष का सेवाकाल पूरे करने वाले शिक्षकों को तीसरा समयमान वेतनमान दिया जाएगा। शिक्षक दिवस पर टीटी नगर के मॉडल स्कूल में आयोजित राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री चौहान ने आगे कहा कि शिक्षकों की भर्ती में अतिथि शिक्षकों के लिए अलग परीक्षा होगी। शिक्षकों की भर्ती में खेल शिक्षकों को शामिल किया जाएगा। विद्यालयों में खेल का पीरियड अनिवार्य होगा। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के लिए आयोग बनाया जाएगा। वरिष्ठता के आधार पर पद नाम में परिवर्तन किया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि गुरुजनों का योगदान अतुलनीय है। शिष्यों को शिक्षक द्वारा दिखाई गई सही राह जितनी जिदंगी बना सकती है, गलत राह उतनी ही बिगाड़ भी सकती है। शिक्षक राष्ट्र निर्माण की रीढ़ हैं, इसलिए शिक्षकों का चयन सावधानी से किया जाए।
उन्होंने शासकीय विद्यालयों के शिक्षकों का उल्लेख करते हुए कहा कि सुविधा विहीन दूरस्थ अंचलों के शिक्षक चमत्कार कर रहे हैं। मंडला, डिंडौरी, धार जिलों और बैगा जनजाति के बच्चे आईआईटी़, आईआईएम में चयनित हो रहे हैं। सरकार द्वारा लैपटॉप दिए जाने की योजना में भी आधे से ज्यादा सरकारी स्कूलों के बच्चे हैं। मुख्यमंत्री ने शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की जरूरत बताते हुए कहा कि शिक्षा राज्याश्रित नहीं होना चाहिए। समाज आधारित शिक्षा व्यवस्था हो। शिक्षक किसी पर आश्रित न रहें। चौहान ने कहा कि वे कार्यक्रम में पूर्व छात्र के रूप में शामिल हो रहे हैं, जहां उन्होंने 9, 10 और 11वीं कक्षा की शिक्षा प्राप्त की। इसी विद्यालय से नेतृत्व का गुण उन्हें मिला।इस समारोह में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2015 से सम्मानित 13, राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान 2017 से सम्मानित 51 और राष्ट्रीय शिक्षक संगोष्ठी के प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया गया।
शुरूआत में अतिथियों ने देवी सरस्वती की प्रतिमा और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाष्णन के चित्र पर पुष्प-माला अर्पित की एवं दीप-प्रज्जलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह ने कहा कि राज्य में पहली बार महिला संस्कृत विद्यालय शुरू किया जा रहा है। स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने कहा कि शिक्षक अपने को कर्मचारी नहीं समझें, वे प्रदेश निमार्ता हैं, इस भावना से कृत-संकल्पित हों। राष्ट्र निमार्ता बनें। अनुसूचित जाति-जनजाति विकास राज्यमंत्री लालसिंह आर्य ने कहा कि शिक्षकों का सम्मान उनके विद्यालय और उनकी आस्था का सम्मान है। इस समारोह में माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष एस़ आऱ मोहंती, उपाध्यक्ष भागीरथ कुमरावत और स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुखर्जी भी उपस्थित रहीं।