नई दिल्ली। राजधानी में जल्द ही लोगों को कूड़ा-कचरा शुल्क का भुगतान करना होगा। शुल्क कितना होगा, यह इस बात कर निर्भर करेगा कि आपके घर से कितना कूड़ा-कचरा पैदा हो रहा है। लोगों से कूड़ा-कचरा शुल्क वसूलने का यह प्रावधान ठोस कचरा प्रबंधन के लिए तैयार नये उप नियमों (बायलॉज) में किया गया है, जिसे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मंजूरी दे दी है। ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर इस तरह का नियम देश में पहली बार तैयार किया गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर पर्यवारण विशेषज्ञों व दिल्ली नगर निगम सहित राजधानी के सभी स्थानीय निकायों ने मिलकर यह नियम तैयार किया है।
जिसे मंगलवार को हाईकोर्ट में पेश किया गया। कार्यवाह मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने दिल्ली सरकार को ठोस कचरा प्रबंधन के लिए तैयार नए नियम को उपराज्यपाल के समक्ष भेजने को कहा है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल को दो सप्ताह के भीतर इस नियम को अधिसूचित कर लोगू करने का निर्देश दिया है। नये नियम लागू होने के बाद कूड़ा-कचरा उत्पन्न होने वाले स्थानों/ घरों में ही उसके निस्तारण व ठोस व जैविक कचरे को अलग-अगल करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही इस नियम के तहत ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था करनी होगी। इस नये नियम में घूरों से ले जाने, अगल-अलग करने और उसके निस्तारण यानी कचरे का ट्रांस्पोटेशन व निस्तारण शुल्क वसूलने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही इधर-उधर कूड़ा फैलाने पर जुर्माना वसूलने का भी प्रावधान किया है। जुर्माने की राशि में हर साल पर पांच फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
गाजीपुर से कचरा नहीं उठाने पर नाराजगी जताई
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने गाजीपुर कचरा स्थल पर अलग करके रखे गये कचरे को नहीं उठाने पर मंगलवार को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की आलोचना की। एनजीटी ने कहा कि इस बारे में स्पष्ट निर्देश थे। जस्टिस स्वतंतर कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कचरास्थल पर अलग किये गये कचरे को उठाने के लिये एजेंसी के चयन में निविदा प्रक्रिया में एनएचएआई द्वारा देरी पर नाराजगी जाहिर की। पीठ ने कहा कि आप (एनएचएआई) लोग चीजों को गंभीरता से नहीं करना चाहते। आपको निविदायें प्राप्त हो चुकी हैं।