जयपुर। वास्तुशास्त्र कहता है कि भोजनगृह पश्चिम की ओर हो तो अधिक शुभकारी माना जाता है। वैसे पूर्व और उत्तर दिशा की ओर वाला भोजनगृह भी दोषकारी नहीं है। भोजनगृह में माँ अन्नपूर्णा का चित्र अवश्य लगाना चाहिए ।
पौराणिक नियमानुसार चित्र में माता अन्नपूर्णा सिंहासन पर बैठी हो और भगवान शिव को अन्न देती स्थिति में होनी चाहिए। दोषपूर्ण चित्र लगाने से भी कभी-कभी रसोई का वास्तु बिगड़ जाता है। भोजनगृह के ईशान कोण में पानी, उत्तर या पूर्व में वॉश बेसिन होना चाहिए। रसोई का दरवाजा घर के मुख्य दरवाजे के सामने नहीं होना चाहिए। घर के सभी लोग भोजन करने से पूर्व हाथ जोड़कर भोजन को प्रणाम जरूर करें, इष्ट देव का ध्यान करने के बाद भोजन ग्रहण करें। हिन्दू नियमानुसार तो यदि आप चार रोटी खाते है तो उसमें से एक रोटी गाय के लिए निकले।