नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अन्नाद्रमुक सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मृत्यु की वजहों की जांच के लिये एक सदस्यीय आयोग गठित करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से आज इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने चेन्नई निवासी पी ए जोसेफ की याचिका खारिज की। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि चूंकि राज्य सरकार ने इस आयोग का गठन राज्य विधान सभा से पारित किसी प्रस्ताव के बगैर ही किया है, इसलिए इसे अनावश्यक रूप से प्रभावित करने और दुराग्रह की सवंभावना है । राज्य सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए अरूमुघस्वामी की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया है जो चेन्नई में छह दिसंबर, 2016 को पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के निधन की वजहों की जांच करेगा।
पीठ ने सवाल किया, ‘‘आपकी (जोसेफ) याचिका उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर ली है। आप चाहते हैं कि जांच जारी रहे या आप जांच नहीं चाहते है।’’ जोसेफ के वकील ने जब सकारात्मक जवाब दिया तो पीठ ने स्पष्ट किया कि वह उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर विचार नहीं करेगी। जोसेफ ने अपनी अपील में कहा था , ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को अस्पताल में दाखिल कराने और उनके उपचार में पार्टी के विधायकों की संलिप्तता रही है। इसलिए जब राज्य सरकार द्वारा ही आयोग गठित किया गया हो तो इसे प्रभावित करने, इस पर दबाव डालने और दुराग्रह की पूरी संभावना रहती है। मौजूदा आयोग से स्वतंत्र रूप से जांच की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।’’ याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि उच्च न्यायालय का यह निष्कर्ष गलत है कि विधान सभा से प्रस्ताव पारित होना अनिवार्य नहीं है और सरकार की राय होना ही जांच आयोग कानून, 1952 के तहत आयोग गठित करने के लिये पर्याप्त है।