नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय और 24 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों का महंगाई भत्ता बढ़ा दिया गया है जबकि उनके वेतन में वृद्धि का प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष लंबित है। कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने उच्चतम न्यायालय के महासचिवों और उच्च न्यायालय के महा पंजीयकों को गत महीने लिखे पत्र में कहा कि न्यायाधीशों का महंगाई भत्ता एक जुलाई से तुरंत प्रभाव से 139 फीसदी बढ़ा दिया गया है।
न्यायाधीशों का छठे वेतन आयोग के आधार पर महंगाई भत्ता बढ़ा दिया गया है जबकि उन्हें सातवें वेतन आयोग के लाभ देने संबंधी दो विधेयक केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष लंबित है। केंद्रीय मंत्रिमंडल आने वाले दिनों में विधेयक पर विचार कर सकता है और उसे शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किए जाने की संभावना है। इनमें से एक विधेयक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते के बारे में जबकि दूसरा विधेयक उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन के बारे में है।
सरकार के सूत्रों ने बताया कि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तों) संशोधन अधिनियम संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। सरकारी पदाधिकारियों ने बताया कि वेतन में उतनी वृद्धि नहीं की जाएगी जिसकी सिफारिश न्यायाधीशों की समिति ने की है। उन्होंने बताया कि वेतन वृद्धि एक जनवरी 2016 से लागू होगी।
न्यायाधीशों की समिति ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए 2.8 लाख रुपये की वेतन वृद्धि और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए 2.5 लाख रुपये की वेतन वृद्धि की सिफारिश की है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को अभी कटौती के बाद प्रति माह 1.5 लाख रुपये वेतन मिलता है। भारत के प्रधान न्यायाधीश को इसके मुकाबले कहीं ज्यादा वेतन मिलता है जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कम वेतन मिलता है। इस राशि में न्यायाधीशों को, सेवारत रहते हुए, दिया जाने वाला आवास का किराया शामिल नहीं है। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 31 और 24 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 1,079 है।