नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा के सोनीपत जिले में स्थित एक निजी विश्विवद्यालय की छात्रा से सामूहिक बलात्कार के मामले में तीन दोषियों की सजा निलंबित करने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर आज रोक लगा दी।न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौडार की दो सदस्यीय खंडपीठ ने इसके साथ ही बलात्कार पीडित की याचिका पर तीनों दोषियों को नोटिस जारी किये। पीठ ने पीडित की याचिका पर तीनों दोषियों से जवाब मांगा है जिसमें उच्च न्यायलाय के 13 सितंबर के आदेश को चुनौती दी गयी है।इस मामले में निचली अदालत ने तीनों आरोपियों को सामूहिक बलात्कार और आपराधिक साजिश रचने के अपराध में भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी कानून के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराते हुये दो अभियुक्तों को बीस बीस साल कैद की सजा दी थी जबकि तीसरे दोषी को सात साल की कैद की सजा सुनायी गयी थी।लेकिन उच्च न्यायलय ने दोषियों की अपील पर उनकी सजा निलंबित करके तीनों को जमानत पर रिहा कर दिया था। शीर्ष अदालत में आज संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीडित की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गान्साल्वेज ने कहा कि ऐसे मामले में उच्च न्यायालय ने दोषियों की सजा निलंबित की है और उन्हें जमानत दी है।
पीडित ने दोषियों को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को भी चुनौती दी है। महिला ने पुलिस में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में दावा किया था कि उसने अगस्त, 2013 में सोनीपत स्थित निजी विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया था और उसका परिचय आरोपियों में से एक से हुआ था। उसका आरोप था कि आरोपी, जो उसका अच्छा मित्र गया था, ने उससे बलात्कार किया और उसे अपनी अश्लील तस्वीरें भेजने के लिये बाध्य किया तथा बाद में वह उसे ब्लैकमेल करने लगा। महिला का यह भी दावा है कि दो अन्य आरोपियों ने भी विश्वविद्यालय परिसर में उसका बलात्कार किया और इसी के बाद उसने अप्रैल 2015 में प्राथमिकी दर्ज करायी। निचली अदालत के फैसले के बाद दोषियों ने उच्च न्यायालय में अपील लंबित होने के दौरान ही जमानत अर्जी दायर की थी।