-गत दो महीने से पुरातत्व विभाग के निदेशक ह्रदेश कुमार शर्मा और वेधशाला अधीक्षक शशिप्रभा ने जंतर-मंतर वेधशाला में तीन दशक से गाइडिंग कर रहे गाइड़ों को बाहर किया। ना आदेश दे रहे हैं और ना ही वेधशाला में बैठकर गाइडिंग की अनुमति। हाईकोर्ट के आदेश को धत्ता बता देते हुए विभाग की गुंडई और गैर कानूनी फैसले से सदमे में आए जयपुर के सबसे पुराने पथ प्रदर्शक हनुमान शर्मा की मौत…..
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। राजस्थान में सीआरपीएसी में संशोधन करके भ्रष्ट लोकसेवकों को बचाने का अध्यादेश खूब चर्चा में है। सरकार कह रही है कि झूठी शिकायतों और इस्तगासों से ईमानदार लोकसेवकों की बदनामी होती है और लोग बेजा फायदा उठाते हैं। इससे उलटे लोगों, कानूनविदें और वकीलों का कहना है कि इस अध्यादेश से लोकसेवकों का भ्रष्टाचार थमेगा नहीं, बल्कि बढ़ेगा, साथ ही लोकसेवकों का रवैया ज्यादा अकुंश होगा। वे मनमाने व गुण्डई फैसलों से बाज नहीं आएंगे। इस अध्यादेश (राज्यभर में विरोध के चलते फिलहाल प्रवर समिति के पास है अध्यादेश) से आने से पहले लोकसेवक किस तरह से मनमाने और गैर कानूनी फैसले लेकर जनता को परेशान कर रहे हैं, इसकी बानगी राजधानी जयपुर में देखी जा सकती है। कला व संस्कृति विभाग के अधीन पुरातत्व विभाग के निदेशक ह्रदेश कुमार शर्मा और विश्व धरोहर सूची में शामिल जंतर-मंतर वेधशाला अधीक्षक शशिप्रभा स्वामी के मनमाने और गैर कानूनी मौखिक आदेश से जंतर-मंतर वेधशाला के दो दर्जन गाइड़ों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। हिटलरशाही अपनाते हुए इन अफसरों ने गाइड़ों को जंतर-मंतर वेधशाला से बाहर कर दिया, जबकि विभाग ने अंदर बैठकर गाइडिंग की अनुमति दे रखी है। विभाग की प्रताड़नाओं व मनमाने फैसले अवसाद व सदमे के चलते एक वरिष्ठ गाइड हनुमान शर्मा की आज मौत हो गई। वे विभाग के इस फैसले से काफी विचलित थे और करीब चालीस साल से वेधशाला में गाइडिंग कार्य कर रहे थे, लेकिन दो महीने से विभाग के मनमाने व गैर कानूनी फैसले ने इस बुजुर्ग गाइड की आजीविका पर संकट खड़ा कर दिया था. अन्य गाइड भी विभाग के कर्मचारियों व अफसरों की धमकियों से डरे-सहमे हुए हैं।
विभाग ने सारी हदें पार करते हुए ना केवल गाइड़ों को बाहर कर दिया, बल्कि हाईकोर्ट के आदेशों की पालना नहीं कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने एक आदेश में गाइड़ों को वेधशाला के अंदर से इन्हें नहीं हटाने को कहा है। एक गाइड जितेन्द्र सिंह चिराणा के प्रवेश पर ही रोक लगा दी। ना लिखित आदेश दे रहे हैं और ना ही वेधशाला में जाने दे रहे हैं। बल्कि ये अफसर और इनके कर्मचारी गाइड़ों को राजकार्य में बाधा डालने, महिला कर्मचारियों से छेड़छाड़ के आरोप में फंसाने की धमकियां देते हैं। एक कर्मचारी द्वारका प्रसाद अग्रवाल ने एक गाइड से मारपीट कर दी थी, जिसकी जांच माणकचौक थाना पुलिस कर रही है। एक वरिष्ठ लिपिक तो अपने साथी कर्मचारी की पत्नी के पार्लर व मसाज सेंटर में काम करने वाली महिलाओं से छेड़छाड़ व रेप केस लगाने की धमकियां देता रहता है। पर्यटन थाना और माणकचौक थाना पुलिस से साठगाठ करके झूठे केस में फंसाने की धमकियां दी जा रही है। गाइडों से ही झूठी शिकायतें लेकर धमकाया जा रहा है, हालांकि ये सभी मामले जांच में झूठे साबित हो चुके हैं। इन सभी की शिकायतें विभाग के आला अफसरों, माणक चौक थाना पुलिस, एसपी और पुलिस कमिश्नर को दे रखी है, जिनमें धमकियों व मारपीट की आॅडियो-वीडियो क्लीपिंग भी है, लेकिन आला अफसर भी निदेशक व अधीक्षक की तानाशाही के आगे नतमस्तक हैं। पर्यटन मंत्री कृष्णेन्द्र कौर, एसीएस एन.सी.गोयल के आदेश की भी ये परवाह नहीं कर रहे हैं।
यहीं वजह है कि विभाग के मनमाने-गैरकानूनी फैसलों, धमकियों, झूठी शिकायतों और आजीविका पर आए संकट से दो दर्जन गाइड सदमे में है। इन्हीं सदमे के चलते वरिष्ठ गाइड हनुमान शर्मा की आज हार्ट अटैक से मौत हो गई। विभाग की गलती से हुए हादसे से जंतर-मंतर के गाइड़ों के साथ जयपुर की गाइड यूनियनों में गुस्सा है। अब इस मामले में गाइड मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मिलेंगे। पुरातत्व विभाग के निदेशक ह्रदेश कुमार शर्मा व अधीक्षक शशिप्रभा स्वामी की गैर कानूनी कारगुजारियों के बारे में अवगत कराएंगे, साथ ही विभाग में हो रहे घोटालों और भ्रष्टाचार की दस्तावेज भी सौंपेंगे।
– घोटाले खोले तो अफसर गुंडई पर उतरे…..
जंतर-मंतर वेधशाला से गाइडों को बाहर करने के पीछे वे शिकायतें बताई जाती हैं, जिनसे पुरातत्व विभाग में टिकटों से हो रहे करोड़ों रुपए के घोटालों पर रोक लग गई। वेधशाला के गाइड़ों की शिकायतों पर ही जंतर-मंतर वेधशाला व अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में टिकट मशीनों में हेराफेरी व फर्जी कंपोजिट टिकटों के माध्यम से करोड़ों रुपए के टिकट घोटालों की जांच हुई। टिकट मशीनों से दोनों संग्रहालयों में करीब दो करोड़ रुपए के टिकट घोटाला सामने आया, जिसमें तीन कर्मचारी गिरफ्तार हुए। हालांकि आज दिनांक तक फर्जी कंपोजिट टिकटों की जांच नहीं होने से करीब बीस करोड़ रुपए का घोटाला दबा हुआ है, जबकि पुलिस और विभाग की जांच टीम के पास जंतर-मंतर में फर्जी कंपोजिट टिकटों के पांच बण्डल पकड़े थे। जांच नहीं होने से यह घोटाला अभी तक दबा हुआ है। मशीनों से टिकट चोरी की जांच भी जंतर-मंतर व अल्बर्ट हॉल संग्रहालय तक सीमित रखी, जबकि आमेर महल, हवामहल व दूसरे स्मारकों की मशीनों व रिकॉर्ड की जांच नहीं हुई। कंपोजिट टिकट व मशीनों के टिकट घोटाले की जंतर-मंतर के गाइड लगातार शिकायतें कर रहे हैं। कुछ महीनों में दूसरे टिकट चोरी के मामले भी बतौर सबूत विभाग के निदेशक व वेधशाला अधीक्षक को दिए, लेकिन ना तो कार्रवाई हुई और ना ही चोरी रुक रही है।
इस वजह से विभाग ने अब गाइड़ों को बाहर निकाला है, ताकि सीजन में टिकट चोरी घोटालों को अंजाम दिया जा सके। जंतर-मंतर गाइड यूनियन के पदाधिकारी बृजमोहन खत्री और जितेंद्र सिंह चिराणा ने आरोप लगाया कि हनुमान शर्मा व करीब दो दर्जन गाइड कई सालों से जंतर-मंतर वेधशाला में बैठकर गाइडिंग कार्य कर रहे हैं। दो महीने से अचानक उन्हें अंदर बैठकर गाइडिंग करने से मना कर दिया। आदेश दे रहे नहीं है। विभाग के निदेशक व अधीक्षक धमकियां देते रहते हैं। ना आदेश देते हैं और ना ही गाइडिंग कार्य करने दे रहे हैं। इन्हीं के चलते 67 वर्षीय हनुमान शर्मा काफी व्यथित और सदमे में थे कि इतने वर्षों तक सेवाएं देने के बाद विभाग ने उन्हें एकाएक बाहर कर दिया। विभाग के कर्मचारी झूठे मामलों में फंसाने की धमकियां भी दे रहे थे। जिसके चलते वे और हम सभी गाइड गहरे सदमे में है। इस बारे में पर्यटन मंत्री, एसीएस एनसी गोयल व निदेशक को भी अवगत करा दिया। अब इस मामले में सीएम वसुंधरा राजे से मिलेंगे।