जयपुर। अस्पताल की ओर से मरीज की उपेक्षा करने एवं ईलाज में लापरवाही बरतने के मामले में स्थाई लोक अदालत जयपुर मेट्रो के अध्यक्ष डी.पी. शर्मा सदस्य ओंकार सिह एवं रमाशंकर वशिष्ठ ने विपक्षी भण्डारी अस्पताल एवं रिसर्च सेन्टर के संचालक डॉ. के.एम. भण्डारी का सेवा दोष मानते हुए 8,97,52० रुपए का हर्ज़ाना लगाया है। इस संबंध में ग्रीप कॉलोनी, बांदीकुई निवासी मानसिह शेखावत ने कोर्ट को बताया कि उसकी 47 वर्षीय पत्नी के पेट में दर्द होने पर 1 जून, 2०16 को स्थानीय अस्पताल में दिखाने पर पिताशय में पथरी तथा पित्ताशय को गृहणी से जोड़ने वाले पाईप (सीबीडी) का कुछ फैले होने की जानकारी मिली।
अच्छा उपचार कराने के लिए विपक्षी के अस्पताल में 2 जून को उसे भर्ती कर 3 जून को आॅपरेशन किया। आरोप लगाया कि अनुभवहीन अक्षम व अकुशल चिकित्सक द्बारा गलत आॅपरेशन किया गया। जिससे गलत नस कट गई और उदर में रक्तस्राव होना शुरू हुआ। पेट फूल गया एवं खून की उल्टियां होने लगी। 4 जून को अन्य अस्पताल में भर्ती कराया जहां एक जुलाई तक रही। फायदा नहीं होने पर एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया जहां स्वस्थ होने पर 1० जुलाई को छुरी मिली। 5 अगस्त को पुन: तबियत खराब हो गई और इन्फेक्शन के कारण 14 अगस्त को उसकी मौत हो गई। कोर्ट में मुकदमा दायर कर 32,57,52० रुपए की क्षतिपूर्ति मांगी। अन्य नारायण हृदयालय निजी अस्पताल ने रिपोर्ट में कहा कि सीबीडी में वायर गलती से अग्नाशय की ओर चला गया और अग्नाशय के नजदीक छेद होने से पेट में रक्त और अम्ल बहने लगा। पेट में घाव हुए और मवाद पड़ गई। डॉक्टर की दलील थी कि 36 वर्षो से डॉक्टर है पथरी का दूरबीन से आॅपरेशन करने में उसका नाम है। प्रयास जारी थे। अपनी रिस्क पर अन्य स्थान पर ले गए। जिससे मरीज की मौत हुई। उभय पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने विपक्षी को उपेक्षा और लापरवाही का दोषी माना।