मुख्यमंत्री ने केन्द्र से 60 हजार करोड़ रुपये लागत की परियोजना पर चर्चा की
जयपुर/। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने केन्द्रीय पेयजल सचिव और केन्द्र तथा राज्य की विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश की दस हजार ग्राम पंचायतों तक सतही स्त्रोतों से मीठा जल पहुंचाने के लिए 60 हजार करोड़ रुपये लागत वाली परियोजना पर विस्तार से चर्चा की है। उन्होंने नई दिल्ली के बीकानेर हाउस में इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए केन्द्र सरकार से वांछित मदद का आग्रह भी किया। राजे ने बैठक में कहा कि राज्य के जल संसाधन व पेयजल विभाग और सम्बद्ध एजेंसियों की मदद से एक-एक बूंद पानी को सहेज कर समुचित उपयोग के लिए तैयार की गई इस परियोजना से रेगिस्तान प्रधान राजस्थान की सबसे बड़ी समस्या पेयजल संकट से निजात मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में खेती पूरी तरह मानसून की वर्षा पर निर्भर है और आजादी के 70 वर्षों में करीब 60 वर्ष सूखा और अकाल तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप यहां इंसानों एवं पशुओं को पीने के पानी तथा किसानों को सिंचाई जल की कमी की विकट समस्या से जूझना पड़ता है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश की इस सबसे बड़ी समस्या का स्थायी हल निकालने के लिए राज्य सरकार ने गंभीर प्रयास किये हंै और मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना को हाथ में लिया है, जिसके अच्छे परिणाम दिख रहे हंै। राजे ने बताया कि राजस्थान में अब तक भू-जल स्त्रोतों पर पानी के लिए करीब 92 प्रतिशत और सतही जल स्त्रोतों पर मात्र 8 प्रतिशत निर्भरता रहती आई है। राज्य सरकार की मंशा इस चक्र को बदलने की है और प्रस्तावित महत्वाकांक्षी परियोजना में सतही जल स्त्रोतों से करीब 92 प्रतिशत और भू-जल स्त्रोतों से मात्र 8 प्रतिशत निर्भरता रखने के लिए राज्य के जल संसाधन एवं पेयजल विभाग ने संयुक्त विस्तृत कार्य योजना (डीपीआर) तैयार की है। दोनों विभाग पीडीकोर एजेंसी तथा केन्द्र सरकार की सहायता से इस योजना को क्रियान्वित करेंगे। इससे राज्य के सभी 33 जिलों में पेयजल की समस्या का स्थायी हल हो सकेगा। बैठक में राज्य के पेयजल मंत्री सुरेन्द्र गोयल, राजस्थान नदी जल बेसिन प्राधिकरण के अध्यक्ष श्रीराम विदेरे, मुख्य सचिव अशोक जैन, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव रजत कुमार मिश्रा, जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव शखर अग्रवाल, वित्त सचिव (बजट) मंजू नागपाल के अलावा विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेन्ट बैंक, नाबार्ड, हुडको आदि संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।