नयी दिल्ली: कपिल सिब्बल की ओर से अयोध्या मामले की सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद तक टालने की दलील देने के बाद आज उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि वह इस राय के खिलाफ है और मामला का जल्द निपटारा चाहती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निशाने पर आए सिब्बल ने दावा किया कि उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड की पैरवी नहीं की। सिब्बल ने कहा कि मोदी को उनकी आलोचना करने से पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए। सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने कहा, ‘‘बोर्ड का मत है कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई करके उसका निबटारा किया जाना चाहिये। मुझे यह नहीं पता कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने किसके निर्देश पर 2019 में सुनवाई की बात कही।
हमारी तरफ से तो ऐसे कोई निर्देश नहीं थे।’’ सिब्बल की दलील के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कल सिब्बल ने मुस्लिम समुदाय के मुद्दे की वकालत की। उन्हें ऐसा करने का हक है और हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है। आप बाबरी मस्जिद को बचाने के लिए सभी तथ्यों एवं कानूनों का हवाला देते हुए अपनी दलील पेश कर सकते हैं।’’ उन्होंने अहमदाबाद जिले में एक चुनाव रैली में कहा, ‘‘लेकिन आप यह नहीं कहें कि मामले में 2019 के चुनाव तक सुनवाई नहीं होनी चाहिए। आप चुनाव के नाम पर राम मंदिर (मुद्दा) की सुनवाई रोकना चाहते हैं।’’ मोदी ने कहा कि वह अब समझते हैं कि कांग्रेस ने क्यों कई मुद्दों को उलझाए रखा। उन्होंने इसे लेकर विस्तार में कुछ नहीं कहा लेकिन इसके पीछे राजनीतिक लाभ हासिल करने को कारण बताया।
उन्होंने कांग्रेस से पूछा, ‘‘क्या वक्फ बोर्ड चुनाव लड़ता है? क्या चुनाव के लिए सुनवाई टालने के विचार वक्फ बोर्ड के हैं? देश में कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ रही है। आप चुनाव में राजनीतिक लाभ-हानि के लिए मामले को उलझाए रखना चाहते हैं?’’ सिब्बल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मुझे पता चला है कि प्रधानमंत्री और अमित शाह ने कहा है कि मैंने उच्चतम न्यायालय में सुन्नी वक्फ बोर्ड की पैरवी की, लेकिन मैंने सुन्नी वक्फ बोर्ड की कभी पैरवी नहीं की। बेहतर होता कि प्रधानमंत्री अधिक सावधान रहते और सार्वजनिक रूप से कुछ कहने से पहले तथ्यों की जांच करते। मैंने अदालत में उनके विभाजनकारी एजेंडे के बारे में जो कहा उसको उन्होंने एक दिन में ही सही साबित कर दिया।’’ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बाबरी मस्जिद कमेटी के संयुक्त संयोजक सैयद कासिम रसूल इलियास ने बताया, ‘‘सिब्बल इस मामले के प्रमुख वादी रहे हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल की तरफ से उच्चतम न्यायालय की तरफ से पेश हुए थे।’’ फारूकी ने कहा कि सिब्बल का जो भी नजरिया रहा हो, लेकिन बोर्ड की तरफ से ऐसे कोई निर्देश नहीं थे। बोर्ड तो चाहता ही है कि मामले का जल्द समाधान निकले।
बाबरी मामले के एक पक्षकार हाजी महबूब ने भी संवाददाताओं से कहा कि वह भी मामले का जल्द से जल्द निबटारा चाहते हैं। वह सिब्बल के बयान से सहमत नहीं हैं। मालूम हो कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर मालिकाना हक के प्रकरण में उच्चतम न्यायालय में एक पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि इस मामले को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर दीवानी अपीलों पर अगले लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई 2019 में सुनवाई करायी जाए, क्योंकि मौजूदा माहौल ठीक नहीं है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सिब्बल की दलीलों पर हैरानी जताते हुए कहा था कि कांग्रेस और उसके भावी अध्यक्ष राहुल गांधी को इस पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। कांग्रेस ने शाह के बयान को गुजरात चुनाव के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास करार दिया था।
दाहोद में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘मैं सुन्नी वक्फ बोर्ड को बधाई देता हूं कि भले ही कपिल सिब्बल उनके वकील हैं कि लेकिन कल उन्होंने अदालत में जो कहा उसका बोर्ड ने विरोध किया। सुन्नी वक्फ बोर्ड के एक प्रतिनिधि ने कहा कि हम चाहते हैं कि मुद्दे पर यथाशीघ्र निर्णय किया जाए।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि कांग्रेस क्यों बाधा उत्पन्न करना चाहती है जबकि शिया वक्फ बोर्ड, सुन्नी वक्फ बोर्ड और राम जन्मभूमि मंदिर मामले के प्रतिनिधित्व मामले का यथाशीघ्र समाधान करना चाहते हैं।’’ विवाद में एक याचिकाकर्ता उत्तरप्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आज कहा कि वह मामले में त्वरित न्याय चाहता है और वह नहीं चाहता कि सुनवाई 2019 के आम चुनावों के बाद के लिए टाली जाए।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने लखनऊ में कहा, ‘‘बोर्ड का मानना है कि मामले की सुनवाई जारी रहे और इसका तुरंत समाधान हो… मुझे नहीं पता कि उच्चतम न्यायालय में मुस्लिमों का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल ने किसके कहने पर ऐसा किया… बोर्ड ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था।’’ हालांकि प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस का कहना है कि उच्चतम न्यायालय में मामले में एक पक्ष की पैरवी कर रहे सिब्बल के विचार उनके खुद के हैं। उन्होंने कहा कि देश में हर छह महीने में कहीं ना कहीं चुनाव होता है।
मोदी ने कहा, ‘‘हर चीज को राजनीतिक नफा नुकसान के नजरिये से देखने के रूख से देश का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि इसी कारण वह एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की वकालत करते हैं क्योंकि इससे चुनाव में वाले होने वाला खर्च भी कम हो जाएगा। गौरतलब है कि सिब्बल ने कल उच्चतम न्यायालय में कहा था कि चूंकि मामले में फैसले का ‘‘गंभीर असर’’ होगा, इसलिए सुनवाई जुलाई, 2019 तक के लिए टाल दी जाए, तब तक आम चुनाव हो जाएंगे। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने यह दलील स्वीकार नहीं की और मामले में सुनवाई अगले साल आठ फरवरी को तय कर दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसी ही स्थिति का सामना किया था जब उनकी सरकार को उच्चतम न्यायालय में ‘तीन तलाक’ के विवादित मुद्दे पर अपना रूख साफ करना था। उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई यह कह रहा था कि अगर हमने इसके खिलाफ रूख अपनाया तो हमें उत्तर प्रदेश चुनाव में नुकसान का सामना करना पड़ेगा, लेकिन हमने रूख अपनाया और उच्चतम न्यायालय ने हमसे छह महीने के भीतर कानून बनाने को कहा।’’ मोदी ने कहा कि हमारी संसद एक बार में तीन तलाक की विवादित प्रथा को प्रतिबंधित करने के लिए कानून पारित करेगी जिससे ‘‘हमारी मांओं एवं बहनों की जिंदगी तबाह करने वालों’’ के लिए जेल की सजा का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा, ‘‘क्या फैसलों को चुनावी लाभ-हानि का मोहताज बनाया जा सकता है या फिर पूरे देश के फायदे के लिए ये फैसले लिए जाएं।’’