जयपुर। गैंगस्टर आनन्दपाल एनकाउंटर मामले में राजस्थान सरकार ने सीबीआई जांच के लिए फिर से केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में राज्य सरकार के फैसले के बारे में बताते हुए प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाने की फिर सिफारिश की है। राज्य के गृह विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने सीबीआई जांच का रिमाइंडर केन्द्रीय गृह विभाग को भिजवाया है। रिमाइंडर पत्र में गृह विभाग ने बताया है कि आनन्दपाल एनकाउंटर प्रकरण राज्य के लिए काफी अहम है। राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई जांच के लिए सिफारिश की है। सीबीआई ने सीबीआई जांच से इंकार कर दिया है। इस फैसले से एक वर्ग विशेष के लोग नाराज है। मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए जाए। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने उन्नीस जुलाई को सीबीआई जांच के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिश की थी। राजपूत समाज के नेताओं से वार्ता के बाद सरकार ने यह फैसला किया था। हालांकि सीबीआई ने 12अक्टूबर 2017 को गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह एनकाउंटर मामले की जांच से इंकार कर दिया था। इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट में भी आनन्दपाल की पत्नी की याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई लिखित में जवाब पेश करके बताया कि वह इस मामले में जांच नहीं करेगी। प्रकरण में राजस्थान पुलिस सही जांच कर रही है। ऐसे कोई तथ्य नहीं है, जो सीबीआई जांच के दायरे में आते हो। इसलिए सीबीआई जांच नहीं करेगी।
राजपूत समाज में गुस्सा
सीबीआई के इंकार करने से राजस्थान के राजपूत समाज और संगठनों में गुस्सा देखा गया है। वे इसे राज्य सरकार की वादाखिलाफी बताते हुए फिर से आंदोलन की चेतावनी देने लगे हैं। इस संबंध में राजपूत संगठनों ने बैठक भी की, जिसमें सीबीआई जांच नहीं होने पर फिर से आंदोलन चलाने पर सहमति बनी है। सोशल मीडिया पर भी सीबीआई के इंकार से राजपूत समाज में काफी गुस्सा देखा जा रहा है। गौरतलब है कि 24 जून,2017 नागौर पुलिस और एसओजी राजस्थान ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए गैंगस्टर आनन्दपाल के एक मकान में छिपे होने पर वहां दबिश दी थी। पुलिस ने उसे सरेण्डर करने को कहा तो आनन्दपाल गोलियां चलाने लगा। इस पर जवाबी फायरिंग में आनन्दपाल मारा गया। आनन्दपाल के परिजनों और राजपूत समाज ने इसे फर्जी एनकाउंटर बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की। तीन सप्ताह तक परिजनों ने आनन्दपाल का शव नहीं लिया था। राजपूत समाज सीबीआई की मांग के समर्थन पर विरोध पर उतर आया। सांवराद सभा के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस ने परिजनों की सहमति से आनन्दपाल का दाह संस्कार किया। हालांकि आंदोलन उग्र होने पर सरकार को राजपूत समाज की सीबीआई जांच की मांग को मानना पड़ा।