नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोढ़ा समिति की अनुशंसाओं को लागू करने पर अडय़िल रुख अपनाए हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को अपने पदों से हटने के आदेश दिए। कोर्ट ने एक नोटिस भी दिया है, जिसमें ठाकुर व शिर्के से पूछा है कि उन पर झूठी गवाही देने और अदालत की अवमानना के लिए मुकदमा क्यों न चलाया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि माफ ी न मांगने पर अनुराग को जेल भी जाना पड़ सकता है। उधर फैसले के बाद भी अनुराग ठाकुर के तेवर कम नहीं हुए हैं। ठाकुर ने मीडिया व सोशल मीडिया में कहा कि मेरे लिए यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी। यह लड़ाई खेल संगठन को स्वायत्तता दिलाने की है। मैं किसी भी अन्य नागरिक की तरह सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करता हूं। लेकिन उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किए अपने वीडियो संदेश में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को लगता है कि सेवानिवृत्त हो चुके न्यायाधीशों के मार्गदर्शन में बीसीसीआई बेहतर काम कर सकता है। मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि उनके मार्गदर्शन में भारतीय क्रिकेट का भला होगा। अनुराग ने कहा, बीसीसीआई देश में सबसे व्यवस्थित खेल संघ है। भारत के पास सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट अवसंरचना है और बीसीसीआई की मदद से राज्य क्रिकेट संघ इनकी बहुत अच्छी तरह देखरेख कर रहे है। आईसीसी से बीसीसीआई में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति को बोर्ड के कामकाज में सरकारी हस्ताक्षेप के तौर पर पेश करने वाली सिफ ारिशी चि_ी मांगने को लेकर झूठी गवाही देने के बाद से ही अदालत अनुराग और शिर्के से नाराज थी। पीठ ने अंतरिम व्यवस्था के तहत बीसीसीआई के वरिष्ठतम उपाध्यक्ष को बोर्ड का अध्यक्ष और संयुक्त सचिव को बोर्ड का सचिव नियुक्त किया है।

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