नयी दिल्ली। किसी अपराध की जांच के सिलसिले में पूछताछ के दौरान यातना देने वाले लोक सेवकों को कम-से-कम तीन वर्ष की जेल की सजा के प्रावधान को लेकर राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश किया गया है।वाईएसआर कांग्रेस के वी विजय साईं रेड्डी द्वारा पेश विधेयक में कहा गया है कि सजा की अवधि को दस साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।रेड्डी ने ‘यातना निरोधक कानून 2017’ में प्रस्ताव दिया है कि जानबूझकर किसी को गंभीर हानि पहुंचाने के लिए किसी तरह की कार्रवाई करने वाले लोक सेवक को दंडित किया जाना चाहिए।इस विधेयक में उनका प्रस्ताव है कि किसी अपराध की जांच के दौरान किसी की स्वीकारोक्ति या जानकारी हासिल करने के लिए उसे यातना देने वाले लोक सेवक को दंडित किया जाना चाहिए।
विधेयक में इसके लिए न्यूनतम तीन वर्ष और अधिकतम दस वर्ष की जेल की सजा का प्रस्ताव है। रेड्डी ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है जैसा कि संयुक्त राष्ट्र में कहा गया है। इसके अनुसार ‘यातना, क्रूरता या बुरा व्यवहार या दंडित करना प्रतिबंधित है और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।’ राज्यसभा के सदस्य रेड्डी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि ‘हिरासत में अपराध’ से जुड़ी विधि आयोग की 152वीं रिपोर्ट में भी यातना को दंडनीय बनाने के लिए कानून में परिवर्तन किया गया है।