नयी दिल्ली : राज्यसभा में कांग्रेस सदस्य राजीव शुक्ला ने चुनाव सुधारों को लागू करने की मांग करते हुए कहा कि ईवीएम को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के सन्देहों को दूर किया जाना चाहिए।राजीव शुक्ला ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया और कहा कि चुनाव आयोग को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के संबंध में विभिन्न पक्षों के शक को दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वीवीपीएटी तथा ईवीएम के संबंध में चुनाव आयोग को स्पष्ट दिशानिर्देश देना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को आदर्श आचार संहिता के बारे में भी स्थिति साफ करनी चाहिए। आचार संहिता के नाम पर तमाम तरह की पाबंदियां लग जाती हैं। उन्होंने कहा कि स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण उम्मीदवार खुल के प्रचार भी नहीं कर पाते।शून्यकाल में ही कांग्रेस सदस्य कुमारी शैलजा ने हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि मीडिया और सोशल मीडिया में महिलाओं को जिस तरीके से चित्रित किया जा रहा है, उससे भी महिलाओं के खिलाफ अपराध को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने पुलिस को अधिकार संपन्न् बनाने की जरूरत पर भी बल दिया।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह काफी गंभीर मुद्दा है और मीडिया, सिनेमा तथा सोशल मीडिया की बड़ी जिम्मेदारी है कि अपराध को महिमामंडित नहीं किया जाए।
शून्यकाल में ही सपा के नरेश अग्रवाल ने मीडियाकर्मियों के ‘‘शोषण’’ का मुद्दा उठाया और कहा कि जिला स्तर पर काम कर पत्रकारों की स्थिति तो और भी खराब है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की ठेके के आधार पर नियुक्ति की जा रही है और उनके लिए पेंशन या पीएफ की कोई सुविधा नहीं है। जिला स्तर पर काम कर रहे पत्रकारों को बेहद कम राशि मिलती है। उन्होंने कहा कि मीडिया सरकार का समर्थन करती है और अगर कोई पत्रकार सही बात लिखे तो उसे हटा देने के लिए दबाव डाला जाता है।
अग्रवाल ने कहा कि गौरी लंकेश सहित नौ मशहूर पत्रकारों की हत्या हो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि राम रहीम मामले से जुड़ी हिंसा में घायल पत्रकारों को उनके इलाज तक के लिए पैसे नहीं दिए गए। शून्यकाल में ही जदयू के रामनाथ ठाकुर ने अधिक संख्या में जन औषधि केंद्र खोले जाने की मांग की। विशेष उल्लेख के जरिए यह मुद्दा उठाते हुए ठाकुर ने मांग की कि ऐसा कानून बनाया जाना चाहिए ताकि डाक्टर जेनेरिक दवाइयां लिखें।विशेष उल्लेख के जरिए ही कांग्रेस के मोतीलाल वोरा ने देश के विभिन्न भागों में अस्पतालों में नवजात बच्चों की मौत का मुद्दा उठाया। विशेष उल्लेख के जरिए ही भाजपा के संभाजी छत्रपति और नारायण लाल पंचारिया, अन्नाद्रमुक के आर वैद्यलिंगम, कांग्रेस के हुसैन दलवई और छाया वर्मा ने अलग अलग मुद्दे उठाए।