-18 वीं अखिल भारतीय सचेतक कांफ्रेंस
जयपुर। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा है कि संसदीय कार्यप्रणाली की सफलता में सचेतकों का दायित्व महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पक्ष और विपक्ष दोनों को यह प्रयास करना चाहिए कि सदन अधिक समय तक चलंे। विधायिका में आमजन के हित को सर्वोच्च रखते हुए स्वस्थ और तार्किक बहस होनी चाहिए ताकि जनहित से जुड़े विधेयक हंगामे की भेंट नहीं चढ़ें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में किसी विचार पर सभी की सहमति होना जरूरी नहीं लेकिन असहमति व्यक्त करने की सहमति होना भी जरूरी है।
राजे सोमवार को उदयपुर में 18 वीं अखिल भारतीय सचेतक कांफ्रेंस के पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि सदन में सौहार्दपूर्ण वातावरण कायम रहना चाहिए। सांसद के रूप में अपने पुराने अनुभवों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा मीनू मसानी जैसे सांसदों द्वारा स्थापित मूल्यों से हम सभी को सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत को भी याद किया और कहा कि विधायक के रूप में हमें अपनी भूमिका बताने के साथ-साथ सदन में हुई सार्थक बहस के लिए वे उत्साहित भी करते थे। उन्होंने हमेशा युवा सदस्यों को स्तरीय बहस के लिए प्रोत्साहित किया।मुख्यमंत्री ने कहा कि फ्लोर मैनेजर के रूप में सचेतक को सदन की कार्यवाही को सुचारू बनाए रखने के लिए अन्य राजनीतिक दलों के सदस्यों से संवाद कायम करना होता है। साथ ही संचालन में किसी तरह की बाधा न आए, इसके लिए पूर्व तैयारी रखनी पड़ती है। इस तरह अपने दलीय सदस्यों की उपस्थिति तथा उनमें अनुशासन बनाए रखना तथा आसन की अपेक्षाओं पर खरा उतरना जैसे महत्वपूर्ण काम भी सचेतकों को करने होते हैं। श्रीमती राजे ने सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों से आए संसदीय कार्य मंत्रियों, सचेतकों, विधायकों एवं अन्य प्रतिभागियों का उदयपुर में स्वागत किया।
-राजस्थान विधानसभा को डिजिटल बनाने में केन्द्र करेगा मदद
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए केन्द्रीय संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि केन्द्र सरकार देश के सभी राज्यों के विधानमंडलों को डिजिटल और पेपरलेस बनाने में मदद करेगी। इसके लिए 750 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। अगले पांच सालों में ‘ई-विधान’ कार्यक्रम के तहत राजस्थान सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं और विधान परिषदों को पेपरलेस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को इस काम में केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय पूरी मदद देगा।
केन्द्रीय संसदीय कार्यमंत्री ने इस बात के लिए मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की सराहना की कि उनके प्रयासों से राजस्थान विधानसभा में अब सत्र पहले की अपेक्षा अधिक दिन तक चलने लगे हैं। उन्होंने इसके लिए संसदीय कार्यमंत्री श्री राजेन्द्र राठौड तथा प्रतिपक्ष की भी सराहना की।
केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने कहा कि सचेतक को दोहरी भूमिका निभानी होती है। सत्तापक्ष के सचेतक के तौर पर उन्हें जहां विपक्षी दल की रणनीतियों पर निगाह रखने के साथ बिल लाने और उन्हें पास कराने की जिम्मेदारी रखनी होती है। वहीं विपक्षी दल के सचेतक के रूप उन्हें सत्तापक्ष पर अंकुश रखने का महत्वपूर्ण मौका मिलता है। श्री गोयल ने ‘रूल्स आॅफ प्रोसीजर’ के सरलीकरण तथा समय के अनुरूप उनमें बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया।
केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने काफ्रेंस की जानकारी देते हुए कहा कि इस लोकसभा का यह तीसरा सचेतक सम्मेलन है। यह सम्मेलन संसदीय लोकतंत्र में सचेतकों के बढ़ते दायित्वों को लेकर चिंतन, मनन और मंथन प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे निश्चय ही विधायी कामकाज को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राजस्थान विधानसभा देश की ऐसी चुनिंदा विधानसभाओं में से है जो पेपरलैस होने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। यहां प्रश्न पूछने तथा उनके जवाब देने का काम आॅनलाइन कर दिया गया है। विधानसभा की कार्यवाही का विवरण भी आॅनलाइन उपलब्ध रहता है।
केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव राजीव यादव ने सम्मेलन की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, लोकसभा में मुख्य सचेतक राकेश सिंह, राज्यसभा में मुख्य सचेतक नारायण पंचारिया, उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा भी उपस्थित थे।
इससे पहले मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय संसदीय कार्यमंत्री ने केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा प्रकाशित काॅफी टेबल बुक ‘नया भारत-करके रहेंगे‘ का विमोचन किया।