नयी दिल्ली : जुड़वां बच्चों की मौत के मामले की सुनवाई कर रही अपीली अदालत ने मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने के दिल्ली सरकार के पिछले महीने के आदेश पर लगी रोक एक महीने के लिए बढ़ा दी।अधिकारियों ने बताया कि यह रोक सुनवाई की अगली तारीख आठ फरवरी तक जारी रहेगी।लाइसेंस रद्द करने का मामला शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में पिछले वर्ष 30 नवंबर को समय से पूर्व जन्मे जुड़वां बच्चों से जुड़ा है।अस्पताल ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया था और कथित तौर पर पॉलीथिन के एक बैग में रखकर उन्हें परिवार को सौंप दिया था। लेकिन उनमें से एक बच्चा जीवित था। जब परिवार अंतिम संस्कार के लिए जा रहा था तब उन्हें पता चला कि दोनों में से एक जीवित था।
इस मामले में कथित चिकित्सीय लापरवाही के चलते आप सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने आठ दिसंबर को अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया था।अस्पताल ने लाइसेंस रद्द किए जाने के खिलाफ 13 दिसंबर को वित्तीय आयुक्त की अदालत में अपील दायर की। अदालत ने आदेश पर रोक लगा दी और सुनवाई की तारीख नौ जनवरी तय की।डीजीएचएस में महानिदेशक कीर्ति भूषण ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘ अपीली संस्था ने सुनवाई की अगली तारीख आठ फरवरी तय की है। इसलिए रोक एक महीने के लिए बढ़ जाती है। ’’ उन्होंने बताया कि सुनवाई आज सुबह प्रारंभ हुई और करीब तीस मिनट तक चली।
मैक्स हैल्थकेयर समूह ने आज एक बयान में कहा, ‘‘ मैक्स अस्पताल, शालीमार बाग को पहले दी गई राहत सुनवाई की अगली तारीख आठ फरवरी तक जारी रहेगी। ’’ लाइसेंस रद्द करने पर रोक के आदेश के बाद मैक्स अस्पताल का कामकाज 20 दिसंबर से बहाल हो गया था।समूह ने आज दावा किया, ‘‘ मैक्स अस्पताल, शालीमार बाग में हर महीने ओपीडी में 15,000 मरीजों और आईपीडी में 3,000 मरीजों को देखा जा रहा है। इनमें समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के मरीज भी शामिल हैं।
इस बीच दिल्ली पुलिस ने इस अस्पताल में जुड़वां बच्चों की मौत से संबंधित अपनी जांच को लेकर स्थिति रिपोर्ट कल अदालत में दायर कर दी। अदालत ने उसे तेजी से जांच करने का निर्देश दिया।पुलिस ने दावा किया कि जांच के दौरान पाया कि अस्पताल के मृत्यु संबंधी रजिस्टर में दोनों शिशुओं के जन्म का समय दर्ज है, उनकी मौत का समय दर्ज नहीं है जबकि दोनों को कसकर बांधकर दो अलग अलग पैकेट में सौंपा गया था। मैक्स हैल्थकेयर ने कल एक बयान में कहा था कि ‘‘विशेष रजिस्टरों में जन्म और मौत दोनों का वक्त दर्ज किया गया, जिसे जांच के तहत उपलब्ध करवा दिया गया है। ’’