Court ordered

जयपुर। अनसंधान को प्रभावित करने के लिए विधायक और सांसदों के खिलाफ मुकदमें सीआईडी सीबी में भ्ोजने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनवारीलाल शर्मा की एकलपीठ ने राज्य सरकार को 29 जनवरी तक रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है कि कितने विधायकों व सांसदों के मामले सीआईडी सीबी में भेजे गए हैं और उनमें क्या जांच की गई है एवं अपराध किस प्रकृति के हैं।

याचिकाकर्ता सुरेशचन्द्र शर्मा के एडवोकेट अजय कुमार जैन एवं आदित्य जैन ने हाईकोर्ट को बताया कि सोनी अस्पताल को 24 हजार वर्गमीटर से अधिक के अवैध भूमि आवंटन को लेकर याची ने वर्ष 2०14 में गांधीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री, तत्कालीन उद्योग मंत्री, तत्कालीन जेडीसी एवं विमल सोनी को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आरोप होने का हवाला देते हुए जांच के लिए मामले को सीआईडी सीबी में भेज दिया। एडवोकेट जैन का कहना है कि राजस्थान पुलिस नियम और सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मामलों को जांच के लिए सीआईडी सीबी को भेजा जाए। पुलिस नियम 2.21 में प्रावधान है कि पुलिस अन्तरर्राज्जीय मामलों और महिलाओं के खिलाफ संगठित अपराधों सहित अन्य गंभीर मामलों में सीआईडी सीबी की सहायता ले सकती है, लेकिन पुलिस जनप्रतिनिधियों को बचाने के लिए मामलों को सीआईडी सीबी में भेज देती हैं। जहां प्रकरण में कोई जांच नहीं की जाती।

सीआईडी सीबी में विधायक से जुडा एक प्रकरण तो 17 साल से अनुसंधान में चल रहा है। याचिका का विरोध करते हुए सरकार की दलील थी कि पुलिस महानिदेशक ने 3 दिसंबर, 1986 को परिपत्र जारी कर विधायक और सांसद के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच सीआईडी सीबी में भेजकर पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी से कराने के निर्देश दे रखे हैं। इस पर याची का कहना था कि डीजीपी के इस अवैध परिपत्र को रद्द किया जाए, क्योंकि यह आमजन और जनप्रतिनिधियों में भेदभाव करता है। कानूनन अपराध की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण सीआईडी सीबी में भेजा जा सकता है, ना कि आरोपी को देखकर।

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